✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
️ दिनांक: 30 दिसंबर 2024, सोमवार
पर्व: सोमवती अमावस्या
महत्व: दरिद्रता निवारण और पुण्य लाभ का महापर्व
️ सोमवती अमावस्या का महत्व
सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को “सोमवती अमावस्या” कहा जाता है। यह दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान, और मौन व्रत धारण करने से अद्भुत फल की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन मौन रहकर स्नान करने से हजार गौदान के समान पुण्य मिलता है।
पीपल और तुलसी पूजन का महत्व
पीपल की पूजा और 108 परिक्रमा:
पीपल के वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करते समय कच्चा सूत लपेटने और 108 फल अलग रखकर उन्हें ब्राह्मणों में वितरित करने से संतान चिरंजीवी होती है।
तुलसी की पूजा और परिक्रमा:
तुलसी की 108 परिक्रमा करने से घर की दरिद्रता समाप्त होती है। इसे धन-संपत्ति में वृद्धि और सुख-शांति का कारण माना जाता है।
दरिद्रता निवारण के लिए उपाय
1. तुलसी के पौधे की 108 बार परिक्रमा करें।
2. सूर्य देव को जल अर्पित करें।
3. मौन व्रत धारण करें और “ॐ” का जाप करें।
विशेष निर्देश:
इस दिन तिल का तेल खाने और लगाने से बचें।
स्त्री-सहवास से परहेज करें।
(संदर्भ: ब्रह्मवैवर्त पुराण)
अमावस्या के व्रत का फल
सोमवती अमावस्या पर स्नान-दान, पूजा, और व्रत रखने से जीवन की सभी समस्याओं का समाधान होता है। इस दिन किए गए धार्मिक कार्यों से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
व्रत और पूजा का समय:
30 दिसंबर 2024 (सोमवार) सूर्योदय से 31 दिसंबर प्रातः 03:56 तक।
हर हर महादेव! जय श्री विष्णु!