24 साल पुरानी तस्वीर वायरल — जब पीएम मोदी खड़े थे पुतिन के पीछे, अब बने विश्व नेतृत्व का केंद्र!

*✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा*
नई दिल्ली/सोजत। सोशल मीडिया पर इन दिनों एक ऐतिहासिक तस्वीर जोरदार चर्चा में है। 24 साल पुरानी यह तस्वीर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की है, जब वे वर्ष 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री थे और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ रूस दौरे पर शामिल हुए थे। तस्वीर में मोदी, वाजपेयी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के ठीक पीछे खड़े नजर आते हैं।
बात आज की करें तो स्थितियां बदल चुकी हैं — जहां कभी नरेंद्र मोदी एक युवा नेता के रूप में पीछे खड़े थे, वहीं आज वही मोदी पुतिन के साथ वैश्विक मंच पर कंधे से कंधा मिलाकर दुनिया की राजनीति की दिशा तय करते हुए दिखाई देते हैं।
सोशल मीडिया पर लोग इस तस्वीर को “इतिहास का चक्र” बताते हुए कह रहे हैं —
“वक्त घूमता है… आज पीछे खड़ा व्यक्ति दुनिया के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक बन चुका है।”
तस्वीर क्यों हुई वायरल?
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आगामी भारत दौरे से पहले यह तस्वीर अचानक चर्चा में आ गई है। लोग बीते दो दशक की राजनीतिक यात्रा को वर्तमान से जोड़कर तुलना कर रहे हैं। इन तस्वीरों ने यह कहानी एक बार फिर सामने ला दी कि कैसे एक राज्य नेता अंतरराष्ट्रीय राजनीति में शीर्ष स्थान तक पहुंचा।
2001 के उस दौर में मोदी राजनीति के उभरते नेता थे। वाजपेयी सरकार की विदेश नीति के तहत वे रूस यात्रा के दौरान प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बने थे। उस समय किसी ने शायद ही कल्पना की होगी कि 24 साल बाद वे भारत ही नहीं, विश्व मंच पर सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में गिने जाएंगे।
*आज का दौर*— बराबरी से खड़े दो विश्व नेता*
आज मोदी और पुतिन दोनों अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बराबरी के रिश्ते के साथ दिखाई देते हैं। रक्षा, तकनीक, ऊर्जा, सामरिक सहयोग और वैश्विक नीतियों में दोनों देशों की साझेदारी बीते दशक में मजबूत हुई है।
सोशल मीडिया पर एक यूज़र ने लिखा —
“2001 में पीछे… 2025 में विश्व नेतृत्व के केंद्र में!”
दूसरे ने कहा —
“यह सिर्फ तस्वीर नहीं, समय की कहानी है।”
* क्यों चर्चा में है यह फोटो?*
24 वर्ष पुरानी दुर्लभ फोटो
मोदी–पुतिन रिश्तों का बदलता स्वरूप
वाजपेयी युग की यादें पुनर्जीवित
सोशल मीडिया पर तेज़ी से शेयर, हजारों कमेंट
ऐतिहासिक तस्वीर का संदेश
तस्वीर यह याद दिलाती है कि राजनीति में समय और मेहनत सबसे बड़ा परिवर्तन कर सकते हैं।
वजह भी साफ है —
जिस नेता ने कभी पीछे खड़े होकर सीखीं कूटनीति की बारीकियां,
वही आज विश्व मंच पर नेतृत्व करते हुए पुतिन के साथ बराबरी से समझौते और वार्ता कर रहा है।
सोशल मीडिया पर लोग इसे प्रेरणा के रूप में देख रहे हैं कि छोटा आरंभ भी इतिहास गढ़ सकता हैं
