सोजत न्यूज़ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा

जयपुर/सोजत
राजस्थान में जिलों के पुनर्गठन के फैसले के बाद जगह-जगह विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है। अनूपगढ़, शाहपुरा और दूदू जैसे क्षेत्रों में जनता और नेताओं ने इस निर्णय के खिलाफ खुलकर नाराजगी जाहिर की है। लोगों ने बाजार बंद रखे, मंत्रियों के पुतले जलाए, और इस्तीफों की झड़ी लग गई।
अनूपगढ़: रो पड़े संघर्ष समिति के महासचिव, मुख्यमंत्री का पुतला जलाया
अनूपगढ़ को जिला घोषित करने के बाद अब इसे निरस्त कर दिए जाने पर जनता में गहरा आक्रोश है। संघर्ष समिति के महासचिव इस फैसले की खबर सुनते ही भावुक हो गए और रो पड़े। उन्होंने बाजार बंद का आह्वान किया, जिसका व्यापक असर देखने को मिला। इस बीच, अनूपगढ़ में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का पुतला जलाया गया। भाजपा नगर मंडल अध्यक्ष मुकेश शर्मा ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने इसे अनूपगढ़ के साथ अन्याय करार दिया।
शाहपुरा: पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष का भाजपा छोड़ने का आह्वान
शाहपुरा को जिला निरस्त करने के विरोध में जनता में जबरदस्त आक्रोश है। पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष सुमित कुमार पारीक ने भाजपा की प्राथमिक सदस्यता छोड़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आंख मूंदकर भाजपा को जिताने का खामियाजा आज जनता को भुगतना पड़ रहा है।
सीकर: किसान यूनियन का ऐलान, मंत्रियों का गांवों में प्रवेश वर्जित
जिला-संभाग निरस्त होने के बाद किसान यूनियन (टिकैत) ने कड़ा रुख अपनाया है। यूनियन ने ऐलान किया है कि अब गांवों और कस्बों में मंत्रियों को प्रवेश करने नहीं दिया जाएगा। किसानों ने इसे जनता के साथ बड़ा धोखा बताया है।
दूदू: प्रेमचंद बैरवा के खिलाफ नारेबाजी
दूदू में भी विरोध के स्वर तेज हो गए हैं। उपमुख्यमंत्री के गृह जिले के निरस्त होने पर जनता ने उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। स्थानीय लोगों ने इसे दूदू के विकास के लिए घातक फैसला बताया है।
इस्तीफों की झड़ी, भाजपा पर निशाना
जिला निरस्त किए जाने के फैसले के बाद भाजपा नेताओं ने भी नाराजगी जाहिर की है। अनूपगढ़ में भाजपा नगर मंडल अध्यक्ष मुकेश शर्मा ने इस्तीफा देते हुए इसे पार्टी की नीतियों में गंभीर खामी बताया। उन्होंने भाजपा प्रदेशाध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा कि यह फैसला जनता के विश्वास पर आघात है।
सरकार के फैसले पर सवाल
राज्य सरकार के इस कदम से जनता में निराशा और आक्रोश है। सवाल उठ रहे हैं कि जिलों के पुनर्गठन के नाम पर जनता को क्यों गुमराह किया गया। अब यह देखना होगा कि सरकार इस बढ़ते विरोध को शांत करने के लिए क्या कदम उठाती है।