वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
वास्तु शास्त्र:
पुराने कैलेंडर को हटाना क्यों है जरूरी?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, पुराने कैलेंडर को घर में रखना शुभ नहीं माना गया है। यह प्रगति और उन्नति के अवसरों को बाधित करता है। इसलिए नए साल की शुरुआत में पुराने कैलेंडर को हटा देना चाहिए और नया कैलेंडर लगाना चाहिए, जिससे सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे और नए अवसर प्राप्त हों।
कहां लगाएं कैलेंडर? वास्तु के अनुसार सही दिशा:
उत्तर दिशा:
उत्तर दिशा को कुबेर की दिशा माना जाता है, जो धन और सुख-समृद्धि का प्रतीक है। इस दिशा में कैलेंडर लगाने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। यहां हरियाली, फव्वारा, नदी, समुद्र, या विवाह से जुड़ी तस्वीरों वाले कैलेंडर लगाने चाहिए। कैलेंडर पर सफेद और हरे रंग का अधिक उपयोग शुभ होता है।
पश्चिम दिशा:
पश्चिम दिशा को कार्यक्षमता और रुकावट दूर करने वाली दिशा माना जाता है। इस दिशा में कैलेंडर लगाने से रुके हुए कार्य पूरे होते हैं और नई संभावनाएं बनती हैं। पश्चिम दिशा के उत्तर-पश्चिम कोने में कैलेंडर लगाना विशेष लाभदायक होता है।
पूर्व दिशा:
पूर्व दिशा सूर्य देवता की दिशा है, जो लीडरशिप और प्रगति का प्रतीक है। इस दिशा में लाल या गुलाबी रंग के कागज पर उगते सूरज या भगवान की तस्वीर वाले कैलेंडर लगाना चाहिए। यह दिशा सफलता और उन्नति के अवसर बढ़ाती है।
कहां नहीं लगाना चाहिए कैलेंडर?
दक्षिण दिशा:
दक्षिण दिशा ठहराव की दिशा मानी जाती है। यहां कैलेंडर या घड़ी लगाना परिवार की तरक्की के अवसरों को रोकता है। यह घर के मुखिया के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
मुख्य दरवाजे के सामने:
मुख्य दरवाजे के सामने कैलेंडर लगाना भी वास्तु के अनुसार उचित नहीं है। इससे दरवाजे से आने वाली ऊर्जा प्रभावित होती है और हवा के झोंकों से कैलेंडर हिल सकता है, जो अशुभ माना जाता है।
विशेष सुझाव:
यदि कैलेंडर पर संत, महापुरुषों या भगवान के चित्र हों, तो यह अधिक पुण्यदायी और आनंददायक माना जाता है।
नए साल की शुभ शुरुआत के लिए वास्तु के अनुरूप कैलेंडर लगाने का विशेष महत्व है। सही दिशा में कैलेंडर लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और पूरे साल उन्नति और प्रगति बनी रहती है।