
पत्रकार अकरम खान पाली
पाली शहर में अपराध के खिलाफ पुलिस ने ऐसा कदम उठाया जिसने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया।
हत्या के तीन आरोपियों की हाथ जोड़े, झुकी निगाहों और कांपते कदमों के साथ आंबेडकर सर्कल से लेकर कोर्ट तक बंदोली निकाली गयी ।
यह दृश्य किसी फिल्म का नहीं, बल्कि समाज को चेताने वाला हकीकत का आइना था।
सड़क के दोनों ओर खड़े हजारों लोग इस नजारे के गवाह बने, जिन्होंने पहली बार देखा कि “कानून से बड़ा कोई नहीं”।
“जिस शहर में खामोश थे अब तक इंसाफ के बोल,
वहीं आज सन्नाटे को तोड़ गया पुलिस का डोल।”
24 अक्टूबर की शाम पाली के औद्योगिक नगर थाना क्षेत्र के अंबेडकर नगर में जितेंद्र मेघवाल पर कुछ युवकों ने चाकू से हमला किया था।
गंभीर हालत में बांगड़ अस्पताल और बाद में जोधपुर रेफर किए गए जितेंद्र ने 26 अक्टूबर की सुबह जिंदगी की जंग हार दी।
इस निर्मम हत्या ने पूरे शहर में गुस्सा और शोक की लहर दौड़ा दी थी।
इस मामले में पुलिस अधीक्षक आदर्श सिद्धू ने खुद मोर्चा संभाला।
त्वरित कार्रवाई करते हुए पुलिस ने प्रकाश प्रजापत, धीरज लोहार और महेंद्र रावत को गिरफ्तार किया, जबकि एक आरोपी अब भी फरार बताया जा रहा है।
“कदम पुलिस के उठे तो गुनाह कांप उठे,
सजा का नाम सुनते ही चेहरे पीले पड़ गए।”
पाली पुलिस ने इस बंदोली के माध्यम से जनता को यह स्पष्ट संदेश दिया कि —
“अपराध करने वाला चाहे कोई भी हो, कानून की पकड़ से बच नहीं सकता।”
पुलिस की इस कार्यवाही से शहर में कानून पर भरोसा और अपराधियों में भय दोनों ही गहरा गया है।
“अब नहीं बचेगा कोई भी कानून से टकराकर,
हर गुनाहगार सीखेगा, क्या होता है इंसाफ का डर।”
स्थानीय नागरिकों ने भी पुलिस की इस कार्रवाई की खुलकर सराहना की।
लोगों का कहना है कि ऐसे अपराधियों को सरेआम बंदोली में निकालना एक मजबूत संदेश देता है — ताकि भविष्य में कोई भी शहर की शांति और सद्भावना को बिगाड़ने की हिम्मत न करे।
“खामोश नहीं रहेगी अब जनता पाली की,
हर जुर्म पर उठेगी आवाज, पुलिस के हौसले की।”
पाली की इस पुलिस कार्रवाई ने साबित कर दिया कि जब कानून जागता है तो अपराध कांप उठता है, और जब समाज साथ खड़ा होता है तो न्याय की जीत तय होती है।
