कथा पुरोधा राजेंद्र राव: सृजन प्रक्रिया एवं संवाद
—————————————-
यह समय साहित्य जगत के लिए निराशाजनक नहीं – राजेंद्र राव
वरिष्ठ पत्रकार अब्दुल समद राही
कोटा । यह समय साहित्य जगत में निराशाजनक नहीं है। इस समय आई आई टी,आई आई एम जैसी शिक्षा प्राप्त लेखक/ लेखिकाएं बहुत अलग से लिख रहे हैं। जो समाज साहित्यकारों का सम्मान नहीं करता वह समाज समाज कहलाने लायक नहीं है। पत्रकारिता एवं साहित्य संस्कृति में ज्यादा अंतर नहीं है, दोनों समाज के लिए प्रतिबद्ध होकर काम कर रहे हैं। यह विचार आज कथा पुरोधा राजेंद्र राव ने मदर टेरेसा स्कूल रंगबाड़ी रोड़ कोटा के मंगल कलश सभागार में आयोजित संवाद एवं सृजन प्रक्रिया अंतर्गत कथाकार एवं समीक्षक विजय जोशी द्वारा किए गए संवाद में व्यक्त किए।
विजय जोशी द्वारा युवा लेखकों और महिला लेखन के पूछने पर उन्होंने कहा कि
बदलाव की संभावना सदैव युवा पीढ़ी से होती है। मेरा मानना है कि अगर युवाओं की रचना छपेगी तो युवा पाठक समृद्ध होंगे। वहीं आज महिलाओं का लेखन अपने समय का उभारने वाला है।
वरिष्ठ साहित्यकार जितेन्द्र निर्मोही ने उनका परिचय देते हुए कहा कि यदि आप कमलेश्वर, राजेंद्र यादव, मन्नु भंडारी, मोहन राकेश का नाम लेंगे तो आपके जेहन में राजेंद्र राव जरुर याद आएंगे। मैं वर्ष1974 में झालावाड़ लाइब्रेरी में सप्ताहिक हिन्दुस्तान की प्रति देखने के लिए ही जाता था। जिसमें कहानी संग्रह ” कोयला भई न राख” की श्रंखला बध्द कड़ियां आया करती थी।
संवाद के पश्चात् कथाकार राजेंद्र राव ने वरिष्ठ साहित्यकार जितेन्द्र निर्मोही की कृतियों राजस्थानी उपन्यास एक विवेचना तथा राजस्थानी कहानियाँ एक विवेचना का विमोचन किया। इन दोनों कृतियों पर विजय जोशी ने सारगर्भित समीक्षा की।
इससे पूर्व साहित्यकार योगेन्द्र शर्मा निदेशक शिशु भारती शिक्षण संस्थान कोटा ने स्वागत करते हुए कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि कोटा की नई पीढ़ी पुरानी पीढ़ियों के साथ कथा साहित्य पुरोधा राजेंद्र राव से बात कर रहे हैं। यह कथा संदर्भों में जरूर याद रखी जाएगी। संस्था के व्यवस्थापक विपिन शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। संस्था के उज्ज्वल भविष्य हेतु राजेंद्र राव ने अपने हस्ताक्षर युक्त शुभकामना प्रेषित की।
संवाद कार्यक्रम से पूर्व कथाकार राजेंद्र राव का सार्वजनिक मण्डल पुस्तकालय कोटा में पुस्तकालय अध्यक्ष डॉ. दीपक श्रीवास्तव और डॉ. शशि जैन ने स्वागत किया तथा पुस्तकालय का अवलोकन कराया। इस आयोजन में डा वैदेही गौतम, श्यामा शर्मा, श्वेता शर्मा, मुरली धर गौड़,किशन वर्मा, प्रो के बी भारतीय, राम गोपाल गौतम, प्रशांत टहलयानी, महेश पंचौली आदि साहित्यकार मौजूद थे