✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
जयपुर। राजस्थान के बहुचर्चित फोन टैपिंग मामले में बड़ा मोड़ आया है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पूर्व ओएसडी लोकेश शर्मा ने इस मामले में सरकारी गवाह बनने का फैसला किया है। पटियाला हाउस कोर्ट ने लोकेश शर्मा की पारडन एप्लीकेशन को मंजूरी दे दी है।
इस मामले में लोकेश शर्मा के वकील एडवोकेट रोहन वाधवा ने कोर्ट में अपील दायर की थी, जिसमें कहा गया कि उनके मुवक्किल इस केस में सभी तथ्यों का खुलासा करने के लिए तैयार हैं और सरकारी गवाह बनना चाहते हैं। कोर्ट के इस फैसले के बाद अब अशोक गहलोत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
क्या है फोन टैपिंग मामला?
यह मामला तब सामने आया था जब केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने आरोप लगाया था कि उनकी बातचीत को अवैध रूप से रिकॉर्ड किया गया और इसे राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल किया गया। गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस मामले में मुकदमा दर्ज कराया था, जिसके बाद यह केस लंबे समय तक चर्चा में रहा।
सरकारी गवाह बनने से क्या होगा असर?
लोकेश शर्मा, जो पहले इस केस में आरोपी थे, अब सरकारी गवाह बनने के बाद इस मामले में अहम जानकारी और सबूत पेश कर सकते हैं। इससे जांच एजेंसियों को मामले की कड़ियां जोड़ने में मदद मिलेगी और मामले में शामिल अन्य लोगों की भूमिका भी स्पष्ट हो सकती है।
अशोक गहलोत के लिए क्यों बढ़ीं मुश्किलें?
लोकेश शर्मा का सरकारी गवाह बनना अशोक गहलोत के लिए राजनीतिक और कानूनी मोर्चे पर बड़ी चुनौती बन सकता है। शर्मा का यह कदम सीधे तौर पर गहलोत पर आरोपों की जांच को मजबूत कर सकता है, क्योंकि वे गहलोत के करीबी माने जाते थे।
गजेंद्र सिंह शेखावत ने क्या कहा?
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “सत्य की जीत हमेशा होती है। यह कदम दिखाता है कि कानून के सामने कोई भी बड़ा व्यक्ति बच नहीं सकता।”
आगे की प्रक्रिया
अब इस मामले में जांच एजेंसियों को लोकेश शर्मा से मिलने वाली जानकारी के आधार पर आगे कार्रवाई करनी होगी। कोर्ट की अगली सुनवाई और जांच की प्रगति पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।