नई दिल्ली: किसानों के बीच नगदी फसलों की बढ़ती लोकप्रियता के साथ अब बागवानी खेती तेजी से एक आकर्षक विकल्प बन गई है। खासकर अमरूद की खेती ने किसानों के लिए एक नई राह खोल दी है। अमरूद एक ऐसा फल है जिसे हर उम्र के लोग खाना पसंद करते हैं। इसकी खेती न केवल कम लागत में होती है, बल्कि इससे किसानों को तगड़ा मुनाफा भी होता है।

“80-100 रुपये किलो बिकने वाला यह फल, खेती से होगी मोटी कमाई, जानें कैसे!”
अमरूद: पोषण और कमाई का शानदार स्रोत
अमरूद विटामिन सी, फाइबर, और एंटीऑक्सीडेंट्स का एक बेहतरीन स्रोत है। यही कारण है कि इसकी बाजार में हमेशा मांग बनी रहती है। इस समय बाजारों में अमरूद ₹80 से लेकर ₹100 प्रति किलो तक बिक रहा है। किसान इसे उगाकर न केवल अपनी आय को बढ़ा सकते हैं, बल्कि कम समय में बड़ी आर्थिक सफलता भी प्राप्त कर सकते हैं।
प्रगतिशील किसान धीरेंद्र मौर्य का उदाहरण
लखीमपुर जनपद के प्रगतिशील किसान धीरेंद्र मौर्य ने अमरूद की खेती में सफलता की नई कहानी लिखी है। करीब ढाई साल पहले उन्होंने डेढ़ एकड़ जमीन पर ताइवान पिंकी वैरायटी का बगीचा लगाया था। यह एक खास किस्म है, जिसमें साल में तीन बार फल आते हैं।
धीरेंद्र बताते हैं कि उनका बगीचा अब प्रतिदिन 4-5 कुंतल अमरूद की पैदावार दे रहा है। स्थानीय व्यापारी उनके बगीचे से ₹50-₹70 प्रति किलो के भाव में अमरूद खरीदते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि सही देखभाल और प्रबंधन से अमरूद की खेती में लागत बेहद कम आती है।
सर्दियों में अमरूद की खेती: चुनौतियां और समाधान
अमरूद की खेती विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में की जा सकती है, लेकिन सर्दियों में इसकी फसल में कुछ चुनौतियां आती हैं। इस मौसम में ठंड और कोहरे की वजह से फलों की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।
समाधान:
- ठंड से बचाव के लिए पेड़ों के आसपास मल्चिंग करें।
- पौधों को समय-समय पर जैविक खाद और पोषक तत्वों से पोषित करें।
- सिंचाई का सही समय और तकनीक अपनाएं।
कम लागत में बड़ी कमाई
अमरूद की खेती की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें ज्यादा लागत नहीं आती। शुरुआत में पौधों की रोपाई और सिंचाई का खर्चा आता है, लेकिन इसके बाद नियमित देखभाल से लागत बेहद कम हो जाती है। ताइवान पिंकी जैसी वैरायटी के कारण साल में तीन बार फसल मिलने से मुनाफा कई गुना बढ़ जाता है।
बाजार में भारी मांग
सर्दियों में अमरूद की मांग बढ़ जाती है। बाजार में ₹80-₹100 प्रति किलो के भाव में बिकने वाला यह फल किसान के लिए नगदी फसल का एक सुनहरा विकल्प है। व्यापारी सीधे बगीचों से फल खरीदकर ले जाते हैं, जिससे किसानों को बिचौलियों की समस्या से भी राहत मिलती है।
किसानों के लिए सफलता का मंत्र
धीरेंद्र मौर्य जैसे प्रगतिशील किसान उदाहरण हैं कि सही तकनीक और मेहनत से खेती को कैसे लाभकारी बनाया जा सकता है। उनका कहना है, “अगर किसान अमरूद की खेती में ध्यान दें और सही प्रबंधन अपनाएं, तो वे लाखों की कमाई कर सकते हैं।”
सरकार की मदद से बढ़ रही बागवानी खेती
केंद्र और राज्य सरकारें भी बागवानी खेती को प्रोत्साहित कर रही हैं। अमरूद की खेती के लिए सरकार की ओर से सब्सिडी और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इससे किसान नई तकनीकों को सीखकर अपनी आय दोगुनी कर सकते हैं।
निष्कर्ष
अमरूद की खेती किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर है। कम लागत, कम मेहनत और बाजार में भारी मांग इसे खेती के लिए एक आदर्श विकल्प बनाते हैं। प्रगतिशील किसानों के उदाहरण यह साबित करते हैं कि अगर सही तकनीक और मेहनत की जाए, तो खेती न केवल आत्मनिर्भरता की ओर ले जा सकती है, बल्कि किसानों को मालामाल भी बना सकती है।
अमरूद की खेती अपनाएं, अपने भविष्य को बेहतर बनाएं और कम लागत में अधिक मुनाफा कमाएं!