✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा

सोजत।
मृत्यु जीवन का अंत हो सकती है, लेकिन विज्ञान ने इसे एक नई दिशा दी है—अंगदान के जरिए मौत के बाद भी किसी को नया जीवन मिल सकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शरीर से अलग किए जाने के बाद हर अंग की एक तय समय सीमा होती है, जिसके भीतर ही उसे किसी और के शरीर में प्रत्यारोपित (ट्रांसप्लांट) किया जा सकता है? अगर यह समय बीत गया, तो वह अंग अनुपयोगी हो जाता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, हर अंग का “विंडो टाइम” अलग-अलग होता है। इन अंगों को शरीर से निकालने के बाद विशेष प्रकार के संरक्षक घोल में और ठंडे तापमान पर रखा जाता है, जिससे अंग की कोशिकाएं लंबे समय तक जीवित रह सकें। आइए जानते हैं कौन-सा अंग कितने समय तक जीवित रह सकता है और ट्रांसप्लांट के लिए उपयुक्त माना जाता है—
🫀 1. दिल (Heart): 4 से 6 घंटे
दिल को सबसे पहले ट्रांसप्लांट करना पड़ता है क्योंकि यह सबसे जल्दी मृत कोशिकाओं में बदल जाता है। इसे 4 से 6 घंटे के भीतर ट्रांसप्लांट करना अनिवार्य होता है।
🫁 2. फेफड़े (Lungs): 4 से 6 घंटे
फेफड़ों की कोशिकाएं भी जल्दी निष्क्रिय हो जाती हैं। इन्हें भी दिल की तरह अधिकतम 6 घंटे के भीतर ट्रांसप्लांट करना जरूरी होता है।
🩸 3. यकृत (Liver): 8 से 12 घंटे
यकृत तुलनात्मक रूप से ज्यादा समय तक जीवित रहता है। इसे 8 से 12 घंटे के भीतर प्रत्यारोपित किया जा सकता है।
🩻 4. अग्न्याशय (Pancreas): 12 से 24 घंटे
यह अंग मधुमेह जैसी बीमारियों के इलाज में उपयोगी होता है। अग्न्याशय को निकालने के बाद 24 घंटे तक संरक्षित किया जा सकता है।
🌰 5. गुर्दा (Kidney): 24 से 36 घंटे
गुर्दा सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाला अंग है। इसे 24 से 36 घंटे तक सुरक्षित रखा जा सकता है और इस दौरान ट्रांसप्लांट किया जा सकता है।
👁️ 6. आंख (Cornea): 5 से 7 दिन
आंख का कॉर्निया शरीर से अलग करने के बाद 5 से 7 दिनों तक उपयोग योग्य रहता है। यह नेत्रहीनों को दृष्टि प्रदान करने में अहम भूमिका निभाता है।
💡 अंग संरक्षित करने की प्रक्रिया
अंगों को निकालते ही उन्हें हाइपोथर्मिक स्टोरेज यानी ठंडे तापमान (लगभग 4 डिग्री सेल्सियस) पर रखा जाता है। इसके साथ ही विशेष प्रकार के जैविक घोल (Preservation Solution) में रखा जाता है, जिससे कोशिकाओं को ऑक्सीजन और पोषण मिलता रहे।
🧬 अंगदान से जुड़ी चेतनाएं
- मृत्यु के बाद अंगदान के लिए परिवार की अनुमति आवश्यक होती है।
- Brain Dead घोषित किए गए व्यक्ति से ही अधिकतर अंग प्राप्त किए जाते हैं।
- भारत में अंगदान को बढ़ावा देने के लिए कई संस्थाएं और सरकारी अभियान चलाए जा रहे हैं।
मृत्यु के बाद भी किसी और के जीवन को बचाने का सबसे बड़ा माध्यम है अंगदान। लेकिन समय की बेहद सीमित खिड़की में यह संभव हो पाता है। इसलिए अंगों के जीवनकाल को जानना न सिर्फ चिकित्सकों बल्कि आम जनता के लिए भी आवश्यक है, ताकि जागरूकता के साथ समय रहते फैसला लिया जा सके।
👉 क्या आप भी अंगदान के लिए इच्छुक हैं? अपने नजदीकी अस्पताल या एनजीओ से संपर्क करें और मृत्यु के बाद भी जीवनदान की इस पवित्र प्रक्रिया का हिस्सा बनें।
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