पाली। अभिनव कला मंच के सचिव चेतन व्यास ने धार्मिक एवं सांस्कृतिक पर्यटन के तहत गुजरात स्थित पौराणिक तीर्थ स्थलों — नागेश वन, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, गोपी तालाब, बेट द्वारका एवं स्वर्ण द्वारका मंदिर — का भ्रमण कर इन स्थलों की प्राचीन ऐतिहासिक और धार्मिक जानकारी संग्रहित की।

नागेश वन को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अनुशंसा पर प्राचीन वैदिक परंपरा एवं आधुनिक तकनीक के समन्वय से विकसित किया गया है। इस वन से आगे नागेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है।

किंवदंती के अनुसार, दारुका नामक राक्षसी को दारुक वन में प्रवेश की अनुमति नहीं थी, परंतु माता पार्वती को प्रसन्न कर उसने अनुमति प्राप्त की और तत्पश्चात उत्पात मचाया।
इसी अत्याचार से मुक्ति हेतु साध्वी सुप्रिया ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की। उनकी प्रार्थना से प्रसन्न होकर भगवान महादेव ने यहां ज्योतिर्लिंग रूप में प्रकट होकर राक्षसी का संहार किया। यहां भक्त नाग-नागिन का जोड़ा चढ़ाकर मनोकामना करते हैं, जो पूर्ण होती है।

वहीं, लगभग 5000 वर्ष प्राचीन गोपी तालाब भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़ा स्थल है।
मान्यता है कि यहीं पर श्रीकृष्ण ने अर्जुन का घमंड तोड़ने के लिए काबा भील लुटेरों को भेजा था, जिन्होंने अर्जुन को परास्त किया। अर्जुन के साथ गई गोपियों ने श्रीकृष्ण के वियोग में इस तालाब में जल समाधि ले ली। तालाब की मिट्टी को गोपीचंदन कहा जाता है, जो आज भी पूजनीय है। तालाब के समीप राधा-कृष्ण मंदिर स्थित है, जहां भक्त बड़ी श्रद्धा से दर्शन करने आते हैं।

चेतन व्यास ने बताया कि ऐसे पौराणिक स्थलों का भ्रमण भारतीय संस्कृति की गहराई और आध्यात्मिकता को जानने का अद्भुत अवसर प्रदान करता है।