मुरादाबाद। उत्तर प्रदेश के संभल में 46 साल से बंद पड़े कार्तिकेय महादेव मंदिर को खोले जाने के बाद विवाद खड़ा हो गया है। इस मामले में मुस्लिम लीग के संयुक्त सचिव मौलाना कौसर हयात खान ने विवादित बयान देते हुए जिला प्रशासन की मंशा पर सवाल उठाए हैं। मौलाना ने आरोप लगाया कि मंदिर को खोलकर इलाके के मुसलमानों को खौफजदा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पुलिस और प्रशासन ऐसी कार्रवाई कर क्षेत्र में अमन-चैन को भंग करने की कोशिश कर रहा है।
मौलाना का भड़काऊ बयान: ‘मंदिर खोलने की क्या जरूरत थी?’
मौलाना कौसर हयात खान ने मंदिर को खुलवाने के फैसले पर आपत्ति जताते हुए कहा, “जो मंदिर 46 साल से बंद पड़ा था, उसे अब खोलने की क्या जरूरत थी? अगर मंदिर के लोग आकर इसे खोलते, तो यह अलग बात होती, लेकिन पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने खुद वहां सफाई कर मंदिर को खोला। इससे यह साफ जाहिर होता है कि यह सब एक साजिश के तहत किया गया है।”
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि मंदिर का उद्घाटन करके पुलिस ने इलाके में ‘लड़ाई-झगड़े का मुद्दा पैदा’ किया है। उन्होंने कहा कि मंदिर को खुलवाने की कार्रवाई के पीछे प्रशासन की मंशा पर सवाल उठाए जाने चाहिए।
‘मुसलमानों को डराने की साजिश’: मौलाना का गंभीर आरोप
मौलाना ने इसे मुसलमानों को प्रताड़ित करने की साजिश करार दिया। उन्होंने कहा, “संभल में प्रशासन और पुलिस की ओर से मुसलमानों के खिलाफ दमन की कार्रवाई की जा रही है।” बिजली चोरी के मामलों में डीएम और एसपी द्वारा खुद मौके पर पहुंचकर कार्रवाई करने को लेकर भी मौलाना ने हैरत जताई।
उन्होंने दावा किया कि यह सब मुसलमानों को खौफजदा करने के लिए किया जा रहा है। “ऐसी कार्रवाइयों से अमन-चैन को बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है,” उन्होंने कहा। मौलाना ने यह भी चेतावनी दी कि यह सरकार हमेशा नहीं रहेगी, और जब सरकार बदलेगी, तो ऐसे अधिकारी निशाने पर आएंगे।
मंदिर खुलने के बाद विवाद क्यों?
संभल के कार्तिकेय महादेव मंदिर को 46 साल बाद खोला गया है। मंदिर के भीतर मिली मूर्ति और कुएं की कार्बन डेटिंग कराने का भी फैसला लिया गया है। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि यह ऐतिहासिक स्थल है और इसे धार्मिक गतिविधियों के लिए खोला गया है।
डीएम और एसपी ने मंदिर का निरीक्षण कर वहां मत्था टेका और इलाके में शांति बनाए रखने की अपील की। इसके बावजूद, इस कदम पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
पुलिस और प्रशासन का रुख
जिला प्रशासन का कहना है कि मंदिर को खोलने का फैसला पूरी तरह कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए लिया गया है। डीएम और एसपी ने इलाके में शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील की है। पुलिस का कहना है कि मंदिर के आसपास सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं, ताकि किसी भी प्रकार का विवाद न हो।
हालांकि, मौलाना कौसर हयात खान के बयान ने इस मामले को और गर्मा दिया है। पुलिस और प्रशासन ने उनके बयान को ‘भड़काऊ और अमन विरोधी’ करार देते हुए इसकी जांच शुरू कर दी है।
राजनीतिक हलकों में हलचल
इस मामले ने राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है। मंदिर खोलने को लेकर जहां हिंदू संगठनों ने इसे ‘धार्मिक स्थल का पुनर्जीवन’ करार दिया है, वहीं मुस्लिम समुदाय के कुछ नेताओं ने इसे ‘सोची-समझी साजिश’ बताया है।
अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ संगठनों ने प्रशासन से मामले पर स्पष्टीकरण मांगा है। उन्होंने कहा है कि ऐसे फैसले धार्मिक भावनाओं को भड़काने का काम कर सकते हैं।
विशेषज्ञों की राय
धार्मिक मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों को खोलने में पारदर्शिता और संवाद जरूरी है। किसी भी समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाए बिना इस तरह के कदम उठाए जाने चाहिए।
संभल में शांति बनाए रखने की अपील
इस विवाद के बीच, स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने दोनों समुदायों से शांति बनाए रखने की अपील की है। अधिकारियों ने कहा है कि “मंदिर खोलने का मकसद किसी भी समुदाय को डराना या भड़काना नहीं है।”
46 साल बाद बंद पड़े मंदिर को खोलने के फैसले ने संभल में नया विवाद खड़ा कर दिया है। मौलाना कौसर हयात खान के बयान ने मामले को और तूल दे दिया है। प्रशासन की चुनौती अब दोनों समुदायों के बीच विश्वास बहाल करना और क्षेत्र में शांति बनाए रखना है।
क्या कहते हैं आप?
क्या धार्मिक स्थलों को खोलने से पहले सभी पक्षों से सलाह-मशविरा जरूरी है? अपनी राय साझा करें।