राजस्थान न्यूज: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करते हुए राजस्थान सरकार ने प्रदेश के शिक्षा तंत्र में बड़ा बदलाव करने का निर्णय लिया है। आगामी शिक्षा सत्र 2025 से प्रदेश के 9 जिलों में बच्चों को स्थानीय भाषा में पढ़ाई शुरू करवाई जाएगी। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इस नई पहल की घोषणा की। उन्होंने कहा कि स्थानीय भाषा में शिक्षा बच्चों के लिए न केवल समझने और सीखने में सरल होगी, बल्कि इससे उनकी सांस्कृतिक और भाषाई पहचान को भी बढ़ावा मिलेगा।

राजस्थान की नई शिक्षा पहल: स्थानीय भाषा में पढ़ाई की शुरुआत, 2025 से 9 जिलों में लागू
स्थानीय भाषा में पढ़ाई की आवश्यकता
अजमेर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान शिक्षा मंत्री ने बताया कि छोटे बच्चे अपनी स्थानीय भाषा को आसानी से समझते और सीखते हैं। उनके चारों ओर का माहौल भी उसी भाषा में होता है। ऐसे में, स्थानीय भाषा में पढ़ाई से बच्चों के लिए शिक्षा ग्रहण करना सहज और रोचक हो जाएगा। यह पहल शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्यों के अनुरूप है, जिसमें मातृभाषा में शिक्षा को प्राथमिकता दी गई है।
पायलट प्रोजेक्ट से शुरुआत
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने जानकारी दी कि सिरोही और डूंगरपुर जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत पहले ही इस पहल को लागू किया जा चुका है। इस पायलट प्रोजेक्ट के सकारात्मक परिणाम देखने के बाद आगामी शिक्षा सत्र में जयपुर, उदयपुर, पाली, राजसमंद, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा और चित्तौड़गढ़ सहित अन्य 7 जिलों में भी इसे लागू किया जाएगा। इसके लिए बालबाड़ी स्तर से स्थानीय भाषा में शिक्षा शुरू की जाएगी।
पाठ्यक्रम तैयार
शिक्षा विभाग ने स्थानीय भाषा में शिक्षा देने के लिए आवश्यक पाठ्यक्रम को तैयार कर लिया है। यह पाठ्यक्रम बच्चों की जरूरतों और उनकी समझ के स्तर को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। शिक्षा मंत्री ने यह भी बताया कि 2026 तक इस कार्यक्रम को प्रदेश के 25 जिलों में लागू करने की योजना है।
शिक्षकों और अभिभावकों का समर्थन
स्थानीय भाषा में शिक्षा शुरू करने के निर्णय से शिक्षकों और अभिभावकों में उत्साह देखा जा रहा है। शिक्षकों का मानना है कि स्थानीय भाषा में पढ़ाई से बच्चों के लिए सीखने की प्रक्रिया सरल हो जाएगी। बच्चों को अपनी भाषा में पढ़ाई करने से न केवल उनकी समझ बेहतर होगी, बल्कि वे शिक्षा को ज्यादा आत्मसात कर पाएंगे।
अभिभावकों का भी कहना है कि इस पहल से उनके बच्चों की पढ़ाई का स्तर सुधरेगा और बच्चों का आत्मविश्वास भी बढ़ेगा। शिक्षकों ने इस कदम को सांस्कृतिक धरोहर को बचाने और बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण बताया है।
शिक्षा मंत्री का संबोधन
कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री ने खुद हाड़ौती भाषा में बोलते हुए इस पहल की उपयोगिता को समझाया। उन्होंने कहा कि बच्चों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा देना उनकी सोचने-समझने की क्षमता को बढ़ाता है। स्थानीय भाषा में शिक्षा से न केवल बच्चों का बौद्धिक विकास होगा, बल्कि वे अपनी जड़ों और परंपराओं से भी जुड़ाव महसूस करेंगे।
भविष्य की योजना
शिक्षा विभाग ने इसे धीरे-धीरे प्रदेशभर में लागू करने की योजना बनाई है। 2026 तक राज्य के 25 जिलों में स्थानीय भाषा में शिक्षा व्यवस्था लागू कर दी जाएगी। बालबाड़ी से शुरू होकर यह शिक्षा माध्यमिक स्तर तक भी बढ़ सकती है।
निष्कर्ष
राजस्थान सरकार की यह पहल शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम है। स्थानीय भाषा में शिक्षा न केवल बच्चों के सीखने की प्रक्रिया को आसान बनाएगी, बल्कि यह राज्य की सांस्कृतिक विरासत को भी सहेजने का माध्यम बनेगी। इस योजना का सफल क्रियान्वयन राजस्थान के शिक्षा तंत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में सहायक होगा।