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✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा। सोजत, राजस्थान के कोटपूतली के किरतपुरा के बड़ियाली की ढाणी में हुई दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया। 23 दिसंबर को 8 वर्षीय मासूम चेतना 700 फीट गहरे बोरवेल में गिर गई थी। इसके बाद 10 दिनों तक लगातार चले रेस्क्यू ऑपरेशन में आखिरकार चेतना को बाहर निकाला गया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका।
10 दिन का लंबा संघर्ष
23 दिसंबर को खेलते वक्त चेतना अचानक बोरवेल में गिर गई थी। घटना के बाद तुरंत स्थानीय प्रशासन और एनडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंचीं और बचाव कार्य शुरू किया। बोरवेल की गहराई और संकरी जगह के कारण ऑपरेशन बेहद मुश्किल था। इससे पहले मासूम को निकालने की 5 बार कोशिशें की गईं, लेकिन सभी असफल रहीं।
चेतना को निकाला गया लेकिन बचाया नहीं जा सका
31 दिसंबर की देर रात रेस्क्यू टीमों ने अथक प्रयासों के बाद चेतना को बोरवेल से बाहर निकाला। उसे तुरंत कोटपूतली के बीडीएम अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद चेतना को मृत घोषित कर दिया।
हादसे का घटनास्थल और परिस्थितियां
यह हादसा किरतपुरा के बड़ियाली की ढाणी में हुआ। बताया जा रहा है कि जिस बोरवेल में चेतना गिरी थी, वह पिछले कई महीनों से खुला पड़ा था। स्थानीय लोगों के अनुसार, इस बोरवेल के आसपास सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं थे।
प्रशासन और रेस्क्यू टीम का बयान
एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लगातार 10 दिनों तक मौके पर मौजूद रहीं। टीमों ने बोरवेल में ऑक्सीजन पहुंचाने और मासूम को सुरक्षित बाहर निकालने के हरसंभव प्रयास किए। जिला कलेक्टर ने कहा, “हमने अपनी पूरी कोशिश की, लेकिन मासूम को बचाना संभव नहीं हो सका।”
परिवार और गांव में शोक की लहर
चेतना की मौत की खबर से परिवार और पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई है। चेतना के माता-पिता घटना के बाद से ही गहरे सदमे में हैं। गांव वालों ने प्रशासन से खुले बोरवेल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
जागरूकता और जिम्मेदारी की जरूरत
इस घटना ने खुले बोरवेल के खतरों को फिर से उजागर किया है। यह प्रशासन और समाज दोनों के लिए चेतावनी है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए तत्परता से कदम उठाए जाएं। खुले बोरवेलों को बंद करने और उनकी निगरानी के लिए ठोस कदम उठाना अब अनिवार्य हो गया है।