जयपुर: राजस्थान में पुलिस उपनिरीक्षक (SI) भर्ती को लेकर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में तनाव लगातार बढ़ रहा है। भारतीय राजनीति में अपने तीखे बयानों और स्पष्ट रुख के लिए पहचाने जाने वाले हनुमान बेनीवाल ने अब इस भर्ती को रद्द करने के लिए राज्यव्यापी आंदोलन की घोषणा की है। उनका यह कदम ऐसे समय में सामने आया है, जब उनके समर्थक ही इस भर्ती को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जिससे स्थिति और भी जटिल हो गई है।

हनुमान बेनीवाल ने SI भर्ती रद्द करने के लिए राज्यव्यापी आंदोलन की घोषणा की: अगले महीने के घटनाक्रम में हो सकती है उथल-पुथल
भर्ती रद्द करने की मांग और सरकारी खामोशी
हनुमान बेनीवाल ने इस भर्ती को रद्द करने का संकल्प लिया है और इसका विरोध करने का ऐलान किया है। हालांकि, यह भर्ती रद्द करने का मुद्दा पहले ही काफी समय से सरकार के सामने रखा गया था, और इसको लेकर राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो चुकी थी। सरकार के पास इस भर्ती को रद्द करने का पर्याप्त आधार था, लेकिन इसके बावजूद उसने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। प्रदेश के मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने भी लगातार इस भर्ती को रद्द करने की मांग की है और इसे अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है। इसके अलावा, कई छात्र नेता भी इस आंदोलन में शामिल हो गए हैं और इसे एक अवसर मान रहे हैं।
आंदोलन का नया मोड़ और हाईकोर्ट में चल रहा मामला
हनुमान बेनीवाल ने अभी तक केवल भर्ती रद्द करने की मांग की थी, लेकिन अब उन्होंने आंदोलन का बिगुल फूंका है। इस फैसले के बाद, राजनीतिक और सामाजिक हलकों में नई चर्चाएं शुरू हो गई हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि वे अन्य आंदोलनकारियों के थकने का इंतजार कर रहे थे, ताकि अब वे इस आंदोलन को और तेज़ी से आगे बढ़ा सकें। आंदोलनकारियों के बयानों में एक प्रकार की थकावट भी नजर आ रही है, और उनकी आवाज में यह स्पष्ट तौर पर सुनी जा सकती है।
उल्लेखनीय है कि यह मामला फिलहाल राजस्थान हाईकोर्ट में चल रहा है, जहां अगले महीने में सुनवाई की संभावना है। यह मामले में अगला एक महीना काफी महत्वपूर्ण और रोचक साबित हो सकता है, क्योंकि अदालत के फैसले के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। यदि हनुमान बेनीवाल आंदोलन के मैदान में कूदते हैं, तो यह आंदोलन राज्य के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य को नया मोड़ दे सकता है।
इस आंदोलन का असर और संभावनाएं
यह आंदोलन राज्य के विभिन्न हिस्सों में फैल सकता है, और राजस्थान की राजनीति में हलचल मचा सकता है। यदि बेनीवाल इस आंदोलन को और अधिक संगठित करते हैं तो यह बड़ी जनविरोधी लहर को जन्म दे सकता है। दूसरी तरफ, राज्य सरकार की स्थिति भी अधिक कठिन हो सकती है, क्योंकि इस मुद्दे पर पहले से ही आंतरिक दबाव और विपक्षी पार्टियों का विरोध जारी है।
इसके अलावा, छात्र समुदाय भी इस आंदोलन में शामिल हो सकता है, जो आगामी परीक्षा परिणामों और सरकारी नौकरियों के लिए संघर्ष कर रहा है। सरकार के लिए यह मुद्दा दुविधा का कारण बन सकता है, क्योंकि किसी भी निर्णय से उनके वोट बैंक पर असर पड़ सकता है।
इसलिए, आने वाला एक महीना राजस्थान के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में निर्णायक साबित हो सकता है। हनुमान बेनीवाल का यह कदम राज्यव्यापी आंदोलन की शक्ल ले सकता है और इसे व्यापक जनसमर्थन भी मिल सकता है, जिससे राज्य सरकार को दबाव का सामना करना पड़ सकता है।