✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने किसान आंदोलन को सुलझाने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए 14 फरवरी को किसान नेताओं के साथ बातचीत का प्रस्ताव रखा है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव प्रिय रंजन के नेतृत्व में सरकार के प्रतिनिधिमंडल ने खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल से मुलाकात की। इस दौरान किसानों की मांगों पर चर्चा की गई और केंद्र ने समस्याओं के समाधान का भरोसा दिलाया।
दल्लेवाल का आमरण अनशन जारी
किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने सरकार के आग्रह के बावजूद अपना अनशन तोड़ने से इनकार कर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की कानूनी गारंटी मिलने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। दल्लेवाल ने कहा, “मैं अन्न का एक भी दाना नहीं खाऊंगा जब तक किसानों की मांगें पूरी नहीं होतीं। मैं पीठ नहीं दिखाऊंगा।”
किसान नेताओं की बैठक और निर्णय
शनिवार को खनौरी और शंभू बॉर्डर के किसान नेताओं ने संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के साथ बैठक की। हालांकि, एसकेएम की एकता को लेकर कोई ठोस निर्णय नहीं हो सका। बैठक में 26 जनवरी को प्रस्तावित ट्रैक्टर मार्च पर चर्चा हुई। एसकेएम नेताओं ने कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर किसान नेता दल्लेवाल की गंभीर स्वास्थ्य स्थिति पर चिंता जताएंगे।
दल्लेवाल की बिगड़ती सेहत
दल्लेवाल का अनशन आज 54वें दिन में प्रवेश कर चुका है। उनका वजन 20 किलो घटकर 66 किलो रह गया है। डॉक्टरों की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, उनकी किडनी और लीवर से संबंधित स्वास्थ्य स्थिति चिंताजनक है। साथी नेताओं और डॉक्टरों ने उन्हें मेडिकल सहायता लेने की अपील की है, लेकिन उन्होंने केवल आंशिक सहायता स्वीकार की है।
केंद्र के साथ बातचीत का सिलसिला जारी
केंद्र सरकार ने किसानों को बातचीत के माध्यम से समाधान का भरोसा दिलाया है। संयुक्त सचिव प्रिय रंजन ने कहा कि सरकार किसानों की समस्याओं को लेकर संवेदनशील है और उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार कर रही है। 14 फरवरी को चंडीगढ़ में होने वाली बैठक से समाधान की उम्मीद बढ़ी है।
किसानों की मांगें और आंदोलन की गूंज
एमएसपी की कानूनी गारंटी, किसान कर्ज माफी, और कृषि से संबंधित अन्य मुद्दे आंदोलन के केंद्र में हैं। किसानों ने यह भी कहा कि वे आंदोलन को तब तक समाप्त नहीं करेंगे जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होतीं।
14 फरवरी को केंद्र और किसानों के बीच होने वाली बैठक इस आंदोलन के भविष्य के लिए अहम साबित हो सकती है। किसानों और सरकार दोनों के लिए यह एक ऐसा मोड़ है, जहां से समाधान की दिशा में सकारात्मक कदम उठाए जा सकते हैं।