तिरुपति: शुक्रवार को तिरुमाला मंदिर परिसर में उस समय भारी हंगामा खड़ा हो गया, जब कुछ भक्तों को मंदिर के अंदर अंडा बिरयानी खाते हुए पकड़ा गया। यह मामला तब प्रकाश में आया जब अन्य भक्तों ने इसकी सूचना तिरुमाला पुलिस को दी। तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) प्रशासन और राज्य सरकार पर इस घटना के बाद से कड़ी आलोचना हो रही है।
तिरुमाला में सख्त नियमों का उल्लंघन
तिरुमाला मंदिर, जो हिंदू धर्म का एक प्रमुख तीर्थस्थल है, में दशकों से शराब, मांसाहारी भोजन, सिगरेट और तंबाकू जैसे उत्पादों पर प्रतिबंध है। यह नियम भक्तों की धार्मिक भावनाओं और मंदिर की पवित्रता बनाए रखने के लिए बनाए गए हैं। इसके बावजूद, रामबगीचा बस स्टैंड के पास कुछ लोगों को अंडा बिरयानी खाते हुए देखा गया।
जब पुलिस मौके पर पहुंची, तो आरोपियों ने दावा किया कि उन्हें इन नियमों के बारे में जानकारी नहीं थी। पुलिस ने उन्हें कड़ी चेतावनी देकर छोड़ दिया।

तिरुमाला मंदिर में अंडा बिरयानी खाते पकड़े गए लोग, प्रशासन पर उठे सवाल
टीटीडी प्रशासन पर गिरी गाज
टीटीडी के पूर्व अध्यक्ष भूमना करुणाकर रेड्डी ने इस घटना को लेकर टीटीडी की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा,
“तमिलनाडु से आए तीर्थयात्री अलीपिरी चेकपॉइंट पर अनिवार्य सुरक्षा जांच के बाद भी मांसाहारी भोजन के पैकेट लेकर तिरुमाला तक पहुंचने में कैसे सफल हुए? यह घटना सुरक्षा में गंभीर चूक का संकेत है।”
मुख्यमंत्री और सरकार पर उठे सवाल
तिरुपति के सांसद डॉ. एम. गुरुमूर्ति ने भी इस घटना को लेकर अपनी चिंता जताई। उन्होंने मुख्यमंत्री नारा चंद्रबाबू नायडू पर निशाना साधते हुए कहा कि यह घटना सरकार के ढीले रवैये को दर्शाती है। उन्होंने आरोप लगाया,
“सरकार ने टीटीडी के मुख्य सतर्कता और सुरक्षा अधिकारी (सीवीएसओ) और तिरुपति एसपी जैसे महत्वपूर्ण पदों पर सही नियुक्ति नहीं की है। इसके बजाय चित्तूर एसपी को दोनों पदों का प्रभारी बना दिया गया है।”
पिछली घटनाओं का हवाला
सांसद ने यह भी याद दिलाया कि 8 जनवरी को भगदड़ की एक घटना में छह तीर्थयात्रियों की मौत हो गई थी और 50 से अधिक घायल हो गए थे। उन्होंने कहा कि यह सरकार और टीटीडी प्रशासन की गंभीर विफलता का उदाहरण है।
आवश्यक सुधारों की मांग
इस घटना के बाद से भक्त और विपक्षी दल टीटीडी और राज्य सरकार से सुरक्षा प्रबंधन को मजबूत करने की मांग कर रहे हैं। यह घटना न केवल प्रशासनिक विफलता को उजागर करती है बल्कि भक्तों की धार्मिक भावनाओं को भी ठेस पहुंचाने वाली है।