केंद्र सरकार द्वारा एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की कानूनी गारंटी और अन्य मांगों पर चर्चा के लिए बैठक बुलाने के बाद, किसानों ने 21 जनवरी को प्रस्तावित दिल्ली कूच स्थगित कर दिया है। यह घोषणा रविवार को शंभू बॉर्डर पर किसान नेता सरवण सिंह पंधेर ने की। केंद्र ने इन मांगों पर विचार के लिए 14 फरवरी को बैठक तय की है।
दिल्ली कूच का निर्णय और 14 फरवरी की बैठक
पहले किसानों ने ऐलान किया था कि 21 जनवरी को 101 किसानों का जत्था पैदल दिल्ली कूच करेगा। लेकिन केंद्र की तरफ से बातचीत का प्रस्ताव मिलने के बाद इस आंदोलन को फिलहाल टाल दिया गया है। किसान नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार से होने वाली बैठक में उनकी मांगों पर ठोस निर्णय लिया जाना चाहिए।
अनशन पर अड़े डल्लेवाल, स्वास्थ्य बिगड़ने पर ली मेडिकल सहायता
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर 55 दिनों से अनशन जारी रखा हुआ है। रविवार को उनका स्वास्थ्य बिगड़ने पर उन्होंने डॉक्टरों की सहायता ली, लेकिन अनशन खत्म करने से इनकार कर दिया। डल्लेवाल ने साफ किया है कि जब तक एमएसपी की गारंटी का कानून नहीं बनता, तब तक वे अन्न ग्रहण नहीं करेंगे।
डल्लेवाल के समर्थन में अनशन पर बैठे 122 किसानों ने रविवार को जूस पीकर अपना अनशन समाप्त किया। किसान नेता काका सिंह कोटड़ा ने डल्लेवाल को मेडिकल सहायता लेने के लिए मनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा, “14 फरवरी की बैठक में किसानों का पक्ष मजबूती से रखने के लिए डल्लेवाल का स्वस्थ होना बेहद जरूरी है।”
विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने की डल्लेवाल की जांच
डल्लेवाल के स्वास्थ्य को देखते हुए देर रात करीब एक बजे विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम मोर्चे पर पहुंची। आठ वरिष्ठ डॉक्टरों के पैनल ने उनका उपचार शुरू किया। हालांकि, डल्लेवाल ने कहा कि वे केवल डॉक्टरों की सलाह को मानते हुए स्वास्थ्य जांच करा रहे हैं, लेकिन उनकी मांगें पूरी होने तक उनका अनशन जारी रहेगा।
किसानों की मुख्य मांगें
- एमएसपी की कानूनी गारंटी: किसानों का मुख्य जोर न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी रूप देने पर है।
- कर्ज माफी: किसानों के बढ़ते कर्ज को लेकर राहत की मांग।
- अधूरे वादे पूरे करने की अपील: केंद्र सरकार से किसानों ने पिछले आंदोलन के दौरान किए गए वादों को पूरा करने की मांग की है।
आंदोलन की अगली रणनीति
किसान संगठनों का कहना है कि 14 फरवरी को केंद्र के साथ होने वाली बैठक पर उनकी अगली रणनीति निर्भर करेगी। यदि बैठक में सकारात्मक निर्णय नहीं होता, तो किसान आंदोलन को तेज करने की योजना बना सकते हैं।
केंद्र और किसानों के बीच बातचीत की यह पहल एक सकारात्मक कदम हो सकती है, लेकिन किसानों की मांगों पर ठोस कार्रवाई की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं। 14 फरवरी को होने वाली बैठक इस आंदोलन के भविष्य की दिशा तय करेगी।