✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
प्रयागराज। महाकुंभ 2025 के भव्य आयोजन के दौरान श्री पंचनाम दशनाम आवाहन अखाड़े के प्रमुख अवधूत बाबा उर्फ़ आचार्य महामंडलेश्वर अरुण गिरि को एक भक्त ने 251 किलो सोने का भव्य सिंहासन भेंट किया। इस सिंहासन की अनुमानित कीमत 200 करोड़ रुपये बताई जा रही है, जो श्रद्धा और भक्ति का अनुपम उदाहरण है।
चार महीने में बना बेशकीमती सिंहासन
सिंहासन को विशेष रूप से तैयार करने में चार महीने का समय लगा। इसे उत्कृष्ट कारीगरी और भारतीय संस्कृति के प्रतीकों के साथ बनाया गया है। सिंहासन की बनावट इतनी बारीकी से की गई है कि यह महज एक श्रद्धा का प्रतीक नहीं बल्कि कला का भी अद्भुत उदाहरण है।
भक्त का नाम गुप्त
इस बेशकीमती भेंट को देने वाले भक्त का नाम अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। हालांकि, अखाड़े और श्रद्धालुओं के बीच यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि आखिर इतनी बड़ी भेंट देने वाला भक्त कौन है।
अवधूत बाबा के आभूषण भी चर्चा में
महामंडलेश्वर अवधूत बाबा पहले ही अपनी भव्य जीवनशैली के लिए जाने जाते हैं। वे नियमित रूप से करीब 6 करोड़ रुपये के सोने के आभूषण पहनते हैं, जो उनकी विशेष पहचान है। इस सिंहासन के मिलने के बाद उनकी भव्यता और अधिक बढ़ गई है।
आस्था या दिखावा?
सोने के सिंहासन की यह भेंट जहां भक्तों की अटूट आस्था का प्रतीक मानी जा रही है, वहीं कुछ लोग इसे दिखावे और आडंबर से जोड़कर देख रहे हैं। महाकुंभ में इतनी बड़ी भेंट ने सामाजिक और धार्मिक हलकों में चर्चाओं का नया दौर शुरू कर दिया है।
महाकुंभ में आस्था का नया इतिहास
महाकुंभ के दौरान यह घटना ऐतिहासिक मानी जा रही है। अवधूत बाबा और उनके अखाड़े ने इसे भक्त की असाधारण श्रद्धा बताया है। इस अद्भुत भेंट ने न केवल महाकुंभ की भव्यता को बढ़ाया है, बल्कि भारतीय धार्मिक परंपराओं में एक नई मिसाल भी कायम की है।