✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
चंडीगढ़/सिरसा। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह एक बार फिर जेल से बाहर आ गया है। इस बार उसे दिल्ली चुनावों से ठीक पहले 30 दिनों की पैरोल दी गई है। जेल प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार, गुरमीत सिंह पैरोल मिलने के बाद सिरसा स्थित अपने डेरा सच्चा सौदा आश्रम पहुंच चुका है।
चुनावों से पहले मिली पैरोल पर उठे सवाल
गौरतलब है कि गुरमीत राम रहीम को पहले भी कई बार जेल से बाहर आने का मौका मिला है। इस बार उसकी पैरोल ऐसे समय पर दी गई है, जब दिल्ली में महत्वपूर्ण चुनाव होने वाले हैं। इससे सियासी गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं कि क्या राम रहीम को किसी विशेष राजनीतिक फायदे के लिए पैरोल दी गई है?
पिछली बार जब राम रहीम को पैरोल मिली थी, तब उसने वर्चुअल सत्संग के जरिए अपने समर्थकों को संबोधित किया था, जिसमें कई बीजेपी नेता भी शामिल हुए थे। इस बार भी उसके बाहर आने के बाद राजनीति में हलचल मच गई है।
राम रहीम को क्यों मिली पैरोल?
हरियाणा सरकार और जेल प्रशासन की ओर से यह बताया गया कि राम रहीम ने अपनी पैरोल के लिए “व्यक्तिगत कारणों” का हवाला दिया था। हालांकि, विपक्षी दलों और कई सामाजिक संगठनों ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं।
राम रहीम को 2017 में साध्वी यौन शोषण मामले में दोषी करार दिया गया था और उसे 20 साल की सजा सुनाई गई थी। इसके अलावा, पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड और अन्य आपराधिक मामलों में भी उसे सजा मिली हुई है।
समर्थकों में खुशी, विरोधियों में नाराजगी
गुरमीत राम रहीम की पैरोल की खबर से डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों में उत्साह है। सिरसा डेरा के बाहर बड़ी संख्या में भक्तों का जमावड़ा देखा जा रहा है। दूसरी ओर, सामाजिक कार्यकर्ता और पीड़ित पक्ष इस फैसले का विरोध कर रहे हैं।
आप, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि यह पैरोल चुनावी लाभ के लिए दी गई है। विपक्षी नेताओं का आरोप है कि बीजेपी राम रहीम के प्रभाव का इस्तेमाल कर चुनाव में फायदा उठाना चाहती है।
क्या इस बार भी होंगे वर्चुअल सत्संग?
पिछली बार जब राम रहीम जेल से बाहर आया था, तब उसने सोशल मीडिया पर वर्चुअल सत्संग किए थे, जिनमें कई भाजपा नेता शामिल हुए थे। अब यह देखना होगा कि इस बार भी वह अपने अनुयायियों से किस तरह संवाद करता है और क्या इसके राजनीतिक मायने निकाले जाएंगे।
सरकार और प्रशासन की सफाई
हरियाणा सरकार ने पैरोल के फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि राम रहीम को कानूनी प्रक्रियाओं के तहत ही राहत दी गई है। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस कदम का सीधा असर दिल्ली चुनावों पर पड़ सकता है।
अब आगे क्या?
अब सभी की निगाहें इस पर रहेंगी कि राम रहीम पैरोल के दौरान क्या गतिविधियां करता है और क्या वह किसी राजनीतिक संकेत देता है? इसके अलावा, क्या सरकार इस तरह की पैरोल देने के फैसले पर पुनर्विचार करेगी, यह भी देखना दिलचस्प होगा।