बालप्रहरी की सिमरी बाल
लेखन कार्यशाला का समापन
हस्तलिखित पुस्तकों की प्रर्दशनी विशेष आकर्षण
का केंद्र
बनी
बाल कवि सम्मेलन में बच्चों ने पढ़ी स्वरचित कविताएं
'बाल संसार' व सिमरी दर्पण दीवार पत्रिका का लोकार्पण
उदय किरौला वरिष्ठ बाल साहित्यकार
सिमरी (दरभंगा) । उत्तराखंड से प्रकाशित बच्चों की पत्रिका बालप्रहरी तथा हिंदी बाल साहित्य शोध संस्थान बनौली के संयुक्त तत्वावधान में राजकीय मध्य विद्यालय सिमरी में आयोजित बच्चों की 5 दिवसीय बाल लेखन कार्यशाला के समापन समारोह में बच्चों द्वारा तैयार हस्तलिखित पुस्तकों की प्रर्दशनी विशेष आकर्षण का केंद्र रही। मेरा परिचय, जीवन की घटना, यात्रा वर्णन, मेरी दिनचर्या, आदि को जोड़ते हुए बच्चों ने लगभग 15 पृष्ठों को जोड़ते हुए बाल स्वर, बालप्रहरी, बालवाटिका, बाल मन, किशोरी स्वर, नई ज्योति, नई किरण, संभावना, नई किरण, आदि नामों से अपनी-अपनी हस्तलिखित पुस्तक तैयार की। अपनी पुस्तक तैयार करके बच्चे काफी खुश थे।
बाल कवि सम्मेलन में खुशी, काजल, अंजू, राजलक्ष्मी, राजनंदनी, उपासना, कामनी आदि बच्चों ने कार्यशाला में तैयार स्वरचित कविताओं का पाठ किया। बाल कवि सम्मेलन की अध्यक्षता खुशी चौरसिया ने किया।
उदय किरौला द्वारा निर्देशित नुक्कड़ नाटक मोबाइल टन टना टन टन के माध्यम से बच्चों ने वर्तमान मोबाइल संस्कृति पर प्रहार करते हुए आज की हकीकत को प्रस्तुत किया।
प्रारंभ में कार्यशाला के प्रत्येक प्रतिभागी बच्चे को अतिथियों ने बैज लगाकर सम्मानित किया। औरेगैमी के तहत बच्चों ने अखबार से बनाए मुकुट अतिथियों को पहिनाए। पूनम झा व कविता श्रीवास्तव द्वारा संपादित बाल संसार व सिमरी दर्पण दीवार पत्रिका लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया।
कार्यशाला में राजकीय मध्य विद्यालय सिमरी, बनौली, मिश्रौली, सन साईन पब्लिक स्कूल, गुरु कुल शिशु सरस्वती विद्या मंदिर, बाल विद्या निकेतन बनौली आदि स्कूलों के 47 बच्चों ने भागीदारी की। समापन समारोह को प्रधानाचार्य अनिल कुमार पाठक, डॉ सतीश भगत, उदय किरौला, आशीष अकिंचन, अभिताभ कुमारसिन्हा, सूबेदार नंदकिशोर साहू, तथा स्कूल के शिक्षक व शिक्षिकाएं उपस्थित थे। समूचे कार्यशाला का संचालन कक्षा 6 की छात्रा मोना ने
समारोह को संबोधित करते हुए किया। वक्ताओं ने कहा कि गैर शैक्षणिक गतिविधियों से भी बच्चे काफी कुछ सीखते हैं। वक्ताओं ने कहा कि आज अभिभावक बच्चों को डॉक्टर व इंजीनयर आदि बड़े पदों पर आसीन होने का संपना देखते हैं। समय को देखते हुए यह जरूरी है। परंतु आज जरूरत है बच्चे एक अच्छे इंसान बनें इसके लिए प्रयास किए जाने की जरूरत है। बच्चे बड़े स्कूलों में पढ़कर अच्छे अंकों से उत्तीर्ण तो हो सकते हैं। परंतु बच्चों में मानवीय संवेदना व सामाजिक सरोकारों से जोड़े जाने की जरूरत है।