✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
प्रयागराज: माघी पूर्णिमा के पुण्य योग के साथ ही संगम तट पर भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है। घंटा-घड़ियाल और शंखनाद के बीच 44 घाटों पर महास्नान का पावन आयोजन जारी है। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ संगम में आस्था की डुबकी लगा रही है, जिससे पूरा क्षेत्र भक्तिमय माहौल में रंगा हुआ है। सरकारी अनुमान के अनुसार, इस शुभ अवसर पर करीब 2.5 करोड़ श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में स्नान कर पुण्य अर्जित करेंगे।
श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा
श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए, प्रशासन द्वारा विशेष व्यवस्था की गई है। हेलीकॉप्टर से संगम तट पर स्नान कर रहे भक्तों पर गुलाब और गेंदा के फूलों की वर्षा की जा रही है। जैसे ही श्रद्धालुओं पर पुष्प गिरते हैं, पूरा वातावरण ‘हर-हर गंगे’ और ‘जय गंगा मैया’ के उद्घोष से गूंज उठता है।
CM योगी स्वयं कर रहे निगरानी
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस महायोग का विशेष ध्यान रख रहे हैं। वे स्नान पर्व की सुरक्षा व्यवस्था और सुविधाओं की निगरानी कर रहे हैं। अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि किसी भी श्रद्धालु को असुविधा न हो। घाटों पर विशेष सुरक्षा बल, एनडीआरएफ और गोताखोरों की टीम तैनात है, जो हर परिस्थिति पर नजर बनाए हुए है।
सुरक्षा और यातायात की पुख्ता व्यवस्था
- 3,000 से अधिक पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है।
- घाटों पर ड्रोन कैमरों से निगरानी की जा रही है।
- पूरे मेला क्षेत्र में 100 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।
- ट्रैफिक को सुचारु रखने के लिए स्पेशल रूट डायवर्जन लागू किया गया है।
धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन
महास्नान के साथ ही संगम क्षेत्र में धार्मिक प्रवचन, भजन-कीर्तन और यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। विभिन्न अखाड़ों के संत-महंत अपने भक्तों को आशीर्वाद दे रहे हैं। संगम किनारे साधु-संतों की भव्य कुम्भ-like छवि देखने को मिल रही है।
पुण्य स्नान का महत्व
शास्त्रों के अनुसार, माघ पूर्णिमा पर संगम स्नान से पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन किए गए दान-पुण्य का फल हजार गुना अधिक प्राप्त होता है। भक्तगण इस दिन दान, हवन और जप-तप कर अपने जीवन को पवित्र कर रहे हैं।
प्रयागराज में आस्था का महासागर
इस महायोग में दूर-दराज से श्रद्धालु संगम नगरी पहुंचे हैं। बस, ट्रेन और हवाई यात्रा से आने वालों की संख्या इतनी अधिक है कि रेलवे और रोडवेज को अतिरिक्त बसें और विशेष ट्रेनें चलानी पड़ी हैं। गंगा तट पर आस्था और श्रद्धा का ऐसा संगम है कि पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा है।