✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
अजमेर।
पुलिस महकमे में उस समय हड़कंप मच गया जब यह खुलासा हुआ कि एक पुलिस कॉन्स्टेबल ने ही अपने ही विभाग के 100 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को करोड़पति बनाने का सपना दिखाकर करोड़ों रुपये की ठगी कर ली। मामला अजमेर जिले का है, जहां एक सिपाही ने पुलिसकर्मियों को विश्वास में लेकर एक इन्वेस्टमेंट स्कीम के नाम पर मोटा लाभ दिलाने का झांसा दिया और लाखों रुपये ऐंठ लिए। पुलिस प्रशासन ने गंभीरता दिखाते हुए संबंधित कॉन्स्टेबल को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है।
करोड़पति बनने का ख्वाब दिखाकर बनाया जाल
जानकारी के अनुसार आरोपी कॉन्स्टेबल ने पहले खुद को एक सफल इन्वेस्टर बताकर प्रचारित किया। वह अपने साथियों को बताता था कि उसने एक खास स्कीम में इन्वेस्ट कर मोटा मुनाफा कमाया है और अब वह दूसरों को भी इसमें शामिल कर रहा है। उसका तरीका इतना भरोसेमंद था कि कई पुलिसकर्मियों ने कर्ज लेकर उसमें पैसा लगा दिया।
WhatsApp ग्रुप के ज़रिए स्कीम का प्रचार
कॉन्स्टेबल ने एक WhatsApp ग्रुप बनाया, जिसमें वह लगातार स्कीम के लाभ और बढ़ते रिटर्न के स्क्रीनशॉट शेयर करता था। ग्रुप में वीडियो और ऑडियो मैसेज भेजकर वह पुलिसकर्मियों को ‘गोपनीय योजना’ में भागीदारी के लिए प्रेरित करता था। कई सीनियर और जूनियर पुलिसकर्मी इस चकाचौंध भरे प्रचार में फंस गए।
लाखों का इन्वेस्टमेंट, अब सब कुछ डूब गया
बताया जा रहा है कि कुछ पुलिसकर्मियों ने 2 से 5 लाख रुपये तक इन्वेस्ट किए, जबकि कुछ ने तो अपने रिश्तेदारों से उधार लेकर निवेश किया। जब समय पर लाभ नहीं मिला और कॉन्स्टेबल टालमटोल करने लगा तो लोगों को शक हुआ। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक ने जांच शुरू कराई और प्राथमिक जांच में ठगी की पुष्टि होते ही कॉन्स्टेबल को निलंबित कर दिया गया।
पुलिस विभाग में छाया तनाव
अपने ही विभाग के एक साथी द्वारा इस तरह से धोखा दिए जाने पर पुलिसकर्मियों में गहरा आक्रोश और दुख व्याप्त है। कई जवानों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। कुछ पर बैंक और कर्ज देने वालों का दबाव भी बना हुआ है।
विभागीय जांच और आपराधिक कार्रवाई की तैयारी
वर्तमान में विभागीय जांच जारी है और ठगी की पूरी राशि, रकम के स्रोत व लेन-देन की गहनता से जांच की जा रही है। अजमेर पुलिस सूत्रों के अनुसार, आरोपी के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज करने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।
यह घटना न केवल पुलिस महकमे की आंतरिक ईमानदारी पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि ठगी का शिकार बनने के लिए केवल आम जनता ही नहीं, बल्कि वर्दीधारी भी भावनाओं में बहकर गलत निर्णय ले सकते हैं। इस घटना से सबक लेते हुए जरूरी है कि किसी भी प्रकार की स्कीम में निवेश करने से पहले पूरी जांच-पड़ताल और सतर्कता बरती जाए।