जयपुर।
राजस्थान में पंचायत और नगर निकायों के पुनर्गठन को लेकर राजनीतिक पारा चढ़ता जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया है कि बीजेपी और आरएसएस किसी भी कीमत पर आगामी पंचायत और नगर निकाय चुनावों को जीतने के लिए नियम-कानूनों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। गहलोत ने सरकार पर प्रशासनिक धांधली और जनभावनाओं की अनदेखी का गंभीर आरोप लगाया है।
गहलोत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर कहा कि राज्य में जिस तरह से पंचायतीराज और नगरीय निकायों का पुनर्गठन किया जा रहा है, वह लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। उन्होंने लिखा, “मैंने ऐसा पहली बार देखा है जब सारे नियम-कानूनों को ताक पर रखकर पुनर्गठन किया जा रहा है। कलेक्टरों ने जनता की आपत्तियों को नजरअंदाज कर हाथ खड़े कर दिए हैं। वे साफ कह रहे हैं कि पूरा काम सरकार के स्तर से हो रहा है, हम कुछ नहीं कर सकते।”
उपचुनाव नहीं करवाकर लोकतंत्र का अपमान: गहलोत
गहलोत ने आरोप लगाया कि भरतपुर जिला प्रमुख समेत कई क्षेत्रों में भाजपा सरकार ने उपचुनाव ही नहीं करवाए। इसके बाद ‘वन स्टेट, वन इलेक्शन’ के बहाने पंचायतीराज संस्थाओं और नगर निकायों के कार्यकाल पूरा होने के बावजूद चुनाव टाल दिए गए। उन्होंने लिखा, “भाजपा और आरएसएस मिलकर येन-केन प्रकारेण चुनाव जीतना चाहते हैं। इसके लिए संवैधानिक प्रावधानों की अनदेखी की जा रही है।”
वोटबैंक साधने के लिए पुनर्गठन में मनमानी
पूर्व मुख्यमंत्री ने पुनर्गठन प्रक्रिया को ‘वोटबैंक साधने की कवायद’ करार देते हुए कहा कि सरकार ने जनसंख्या की न्यूनतम-अधिकतम सीमा और मुख्यालय से दूरी जैसे मापदंडों की अनदेखी की है। उन्होंने कहा, “कहीं 10-10 किलोमीटर दूर के गांवों को नगरीय निकायों में शामिल किया जा रहा है, तो कहीं पंचायत मुख्यालय को इतना दूर कर दिया गया है कि ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।” उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह की मनमानी से जनता में भारी आक्रोश उत्पन्न हो रहा है।
हाईकोर्ट में चुनौती, सरकार की सफाई
राज्य सरकार द्वारा नगर पालिका चुनावों को टालने के फैसले को भी हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। पूर्व विधायक संयम लोढ़ा ने याचिका दायर कर कहा कि चुनाव टालना संविधान विरोधी है। अदालत ने राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
इधर, नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि नवंबर में प्रदेश के सभी निकायों में ‘एक प्रदेश, एक चुनाव’ के तहत चुनाव कराए जाएंगे। उन्होंने कहा, “विपक्ष को चुनाव की प्रक्रिया से समस्या है, न कि परिसीमन से। उनकी तकलीफ दूर करने का कोई उपाय हमारे पास नहीं है।”
राजस्थान में पंचायतीराज और नगर निकाय चुनावों को लेकर सियासी जंग तेज हो गई है। जहां कांग्रेस सरकार पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया में दखल और नियमों के उल्लंघन का आरोप लगा रही है, वहीं सरकार अपनी नीति को ‘व्यवस्थित चुनाव प्रणाली’ का हिस्सा बता रही है। अब देखना होगा कि हाईकोर्ट के रुख और जनता की प्रतिक्रिया के बीच यह मुद्दा किस मोड़ पर पहुंचता है।