
पित्त की थैली (Gallbladder) निकालने के बाद शरीर की पाचन प्रक्रिया कुछ समय के लिए प्रभावित होती है, क्योंकि अब पित्त रस सीधा लिवर से छोटी आंत में जाएगा, जहां उसका प्रवाह नियंत्रित नहीं होगा। ऐसे में खाने-पीने, दिनचर्या और जीवनशैली को लेकर विशेष परहेज़ रखना आवश्यक हो जाता है। नीचे विस्तार से बताया गया है कि मरीज को किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए:
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1. परहेज़ की अवधि:
- पहले 3 से 6 महीने तक सख्त परहेज़ जरूरी है।
- उसके बाद धीरे-धीरे सामान्य आहार शुरू किया जा सकता है, लेकिन तैलीय व मसालेदार चीज़ों से हमेशा दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
2. क्या नहीं खाना चाहिए?
(इन चीज़ों से पूरी तरह परहेज़ करें, खासकर पहले 6 महीने)
3. क्या खाना चाहिए?
(हल्का, सुपाच्य और पोषक तत्वों से भरपूर भोजन लें)
4. जीवनशैली में क्या बदलाव जरूरी हैं?
- भोजन थोड़ी-थोड़ी मात्रा में दिन में 4–5 बार लें – ताकि पाचन आसान हो।
- भोजन चबा-चबाकर खाएं – यह लिवर को बोझ से बचाता है।
- भोजन के तुरंत बाद न सोएं – कम से कम 1 घंटे बाद ही विश्राम करें।
- योग और वॉक को दिनचर्या में शामिल करें – जैसे पवनमुक्तासन, वज्रासन, और हल्की प्राणायाम क्रियाएं।
- वजन को नियंत्रित रखें – मोटापा फिर से पाचन समस्याएं ला सकता है।
5. कब डॉक्टर से संपर्क करें?
- पेट में बार-बार तेज़ दर्द हो
- पीलिया के लक्षण दिखें
- उल्टी, डायरिया या लगातार अपच
- मल का रंग सफेद या बहुत हल्का हो जाए
- बुखार या थकावट हमेशा बनी रहे
पित्त की थैली निकालने के बाद शरीर को नई स्थिति के अनुसार ढलने में समय लगता है। ऐसे में मरीज को संयम, परहेज़ और संतुलित जीवनशैली अपनानी होती है। यदि सही भोजन और नियमित दिनचर्या अपनाई जाए तो व्यक्ति बिना पित्ताशय के भी स्वस्थ जीवन जी सकता है।