✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
:Jagannath Rath Yatra 2025:

पुरी, ओडिशा।
जगन्नाथ रथ यात्रा एक बार फिर आस्था, परंपरा और श्रद्धा की भव्य मिसाल बनकर सामने आई। ओडिशा के पुरी नगर में 27 जून को भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की ऐतिहासिक रथ यात्रा का शुभारंभ हुआ, जिसमें लाखों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। इस बार भी परंपरा के अनुसार गजपति महाराज दिव्य परंपरा का निर्वहन करते हुए सोने की झाड़ू से रथ के मार्ग की सफाई की, जिसे ‘छेड़ा पहरा’ कहा जाता है।
राजा ने निभाई परंपरा, सोने की झाड़ू से किया मार्ग शुद्ध
पुरी के गजपति महाराज दिव्य वेशभूषा में रथ के समीप पहुंचे और विधिवत पूजा-अर्चना के बाद सोने की झाड़ू से मार्ग की सफाई की। यह परंपरा दर्शाती है कि भगवान के सामने सब समान हैं — राजा हो या रंक। छेड़ा पहरा की यह रस्म श्रद्धालुओं में विशेष आस्था का विषय है और रथ यात्रा की शुरुआत का आधिकारिक संकेत भी।
भगवान पहुंचे मौसी के घर
परंपरा के अनुसार भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा तीनों भाई-बहन रथों पर सवार होकर गुंडिचा मंदिर, जिसे ‘मौसी का घर’ कहा जाता है, की ओर प्रस्थान करते हैं। यह यात्रा लगभग तीन किलोमीटर की होती है और इसे पूरा करने में कई घंटे लगते हैं। तीन विशाल रथों — नंदीघोष (जगन्नाथ का), तालध्वज (बलभद्र का) और दर्पदलन (सुभद्रा का) को हजारों भक्त खींचते हैं।
सुरक्षा और श्रद्धालु व्यवस्था
पुरी प्रशासन ने इस वर्ष रथ यात्रा के लिए विशेष व्यवस्थाएं की थीं। लगभग 18000 से अधिक पुलिसकर्मियों की तैनाती, ड्रोन से निगरानी, मेडिकल सुविधाएं, पानी और शौचालय की व्यवस्था की गई थी। देश-विदेश से आए श्रद्धालु भगवान के दर्शन के लिए पुरी पहुंचे, जिससे पूरा शहर हरि-नाम से गूंज उठा।
भक्तों में उमड़ा भक्ति भाव
भीषण गर्मी के बावजूद भक्तों में कोई कमी नहीं थी। रथ खींचने के लिए लोग सुबह से ही जुटने लगे थे। “रथ खींचने से जन्म-जन्मांतर के पाप कट जाते हैं” — इस मान्यता को लेकर लाखों श्रद्धालु पूरे जोश के साथ भगवान के रथों को खींचते नजर आए।
प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति ने दी शुभकामनाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रथ यात्रा के शुभ अवसर पर देशवासियों को बधाई दी और भगवान जगन्नाथ से सभी के जीवन में सुख-शांति की कामना की।
जगन्नाथ रथ यात्रा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं का जीवंत उदाहरण है। सोने की झाड़ू से मार्ग की सफाई कर राजा द्वारा भगवान के चरणों में समर्पण, और श्रद्धालुओं की लाखों की संख्या में भक्ति भावना इस यात्रा को और भी दिव्य बना देती है। अगले नौ दिन भगवान मौसी के घर विश्राम करेंगे और फिर वापसी यात्रा (बहुड़ा यात्रा) होगी।