✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
राजस्थान/हरियाणा/उत्तर भारत, 5 मई 2025:
देश के लिए अपनी जान कुर्बान करने वाले वीर सपूतों की शहादत सिर्फ देश के लिए नहीं, बल्कि उनके घर-परिवार के लिए भी एक अपूरणीय क्षति होती है। ऐसी ही एक दर्दनाक कहानी सामने आई है पहलगाम (जम्मू-कश्मीर) से, जहां आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हुए जवान की नई-नवेली दुल्हन हिमांशी की चीख-पुकार सुनकर पत्थर दिल भी पिघल जाए।
8 दिन पहले ही हुई थी शादी, खुशियों का माहौल पलभर में मातम में बदला
हिमांशी और शहीद जवान की शादी को अभी महज 8 दिन ही हुए थे। घर में अभी भी सजावट के रंग बिखरे थे, रिश्तेदारों का आना-जाना लगा हुआ था। मगर किसे पता था कि नई-नवेली दुल्हन की मांग इतनी जल्दी सूनी हो जाएगी। जैसे ही खबर मिली कि पति ड्यूटी के दौरान आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हो गए हैं, हिमांशी का रो-रोकर बुरा हाल हो गया।
“अभी तो साथ जीने-मरने की कसम खाई थी…” – हिमांशी की चीत्कार ने सबको रुला दिया
पति के ताबूत को देखकर हिमांशी बेसुध हो गई। आंखों से लगातार आंसू बहते रहे और वह बार-बार यही कहती रही—“अभी तो साथ जीने-मरने की कसम खाई थी, तुम मुझे अकेला छोड़ गए?” वहां मौजूद हर आंख नम हो गई। जवान की मां भी बेटे के पार्थिव शरीर को देख खुद को संभाल नहीं सकीं।
गांव में उमड़ा जनसैलाब, अंतिम दर्शन को जुटे हजारों लोग
जैसे ही शहीद की खबर गांव तक पहुंची, पूरा गांव शोक में डूब गया। गांव के छोटे-बड़े हर शख्स ने नम आंखों से अपने वीर सपूत को श्रद्धांजलि दी। घर के बाहर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। अंतिम यात्रा में ‘भारत माता की जय’ और ‘शहीद अमर रहें’ के नारों से आसमान गूंज उठा।
सेना और प्रशासन ने दी अंतिम श्रद्धांजलि
सेना के जवानों और प्रशासनिक अधिकारियों ने भी शहीद को सलामी दी। पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। सैनिकों ने शस्त्र झुका कर अपने साथी को विदाई दी, वहीं आम नागरिकों ने फूलों की वर्षा कर उन्हें अंतिम विदाई दी।
देश को गर्व, पर परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
जहां एक ओर देश को अपने वीर जवान की शहादत पर गर्व है, वहीं दूसरी ओर एक नया जीवन शुरू कर रही हिमांशी के लिए यह जीवन भर का दुःख बन गया है।
सरकार से मदद की मांग
स्थानीय नेताओं और गांववासियों ने सरकार से मांग की है कि शहीद के परिवार को उचित मुआवजा, सरकारी नौकरी और उनकी स्मृति में गांव में कोई स्मारक बनवाया जाए, ताकि आने वाली पीढ़ियां इस बलिदान को याद रखें।