
✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
सोजत/चंडावल, । चंडावल थाने में हरचंदराम बंजारा की संदिग्ध मौत के मामले में पिछले दो दिनों से चल रहा धरना आखिरकार गुरुवार को समाप्त हो गया। परिजनों और प्रशासन के बीच गहन वार्ता के बाद यह निर्णय लिया गया। मृतक के परिवार की मांग पर चंडावल थाने के तीन पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से लाइन हाजिर कर दिया गया है। साथ ही सरकार को परिवार के एक सदस्य को संविदा पर नौकरी देने का प्रस्ताव भी भेजा गया है।
परिजनों की जिद के आगे झुका प्रशासन
धरने में शामिल परिजनों और समाज के लोगों की मांग थी कि हरचंदराम की मौत में संलिप्त पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। गुरुवार को पाली से अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विपिन कुमार शर्मा, प्रशिक्षु डीएसपी उषा यादव, और सोजत डीएसपी जेठू सिंह करनौत मौके पर पहुंचे। इसके साथ ही उपखंड अधिकारी मसींगाराम जांगिड़, तहसीलदार डॉ. दिलीप सिंह जांगिड़ और पंचायत समिति के उप प्रधान कन्हैयालाल ओझा भी मौके पर उपस्थित रहे।
बातचीत के बाद पुलिस ने हेड कॉन्स्टेबल रामनिवास, कॉन्स्टेबल कालूराम और भागचंद को लाइन हाजिर कर दिया। यह प्रशासन की ओर से गंभीरता का संकेत माना जा रहा है।
तनाव के बीच हुआ हल्का बल प्रयोग
गुरुवार को धरना स्थल पर तनाव उस समय बढ़ गया जब कुछ युवकों ने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी शुरू की और पत्थरबाजी की। स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा, जिसके बाद भीड़ को तितर-बितर किया गया।
मेडिकल बोर्ड ने किया पोस्टमॉर्टम
परिजनों की सहमति के बाद मेडिकल बोर्ड द्वारा वीडियोग्राफी की मौजूदगी में शव का पोस्टमॉर्टम करवाया गया। पोस्टमॉर्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया। इसके साथ ही उपखंड कार्यालय के बाहर लगा धरना पंडाल भी प्रशासन ने हटवा दिया।
🧑💼 संविदा नौकरी का प्रस्ताव भेजा
प्रशासन की ओर से यह भी घोषणा की गई कि मृतक हरचंदराम बंजारा के परिवार के एक सदस्य को संविदा पर नौकरी देने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा जाएगा, ताकि पीड़ित परिवार को आर्थिक सहयोग मिल सके।
पृष्ठभूमि:
हरचंदराम बंजारा पुत्र बाबुराम, निवासी टागली (जिला नागौर) की मौत चंडावल थाना क्षेत्र में पुलिस हिरासत के दौरान संदिग्ध परिस्थितियों में हुई थी। परिजनों ने आरोप लगाया कि हरचंदराम को पुलिस ने बेरहमी से पीटा था, जिससे उसकी मौत हुई। इसी को लेकर समाज में भारी आक्रोश फैल गया और धरना प्रदर्शन शुरू हुआ।
इस घटना ने पुलिस और जनता के बीच विश्वास की खाई को उजागर किया है। हालांकि, प्रशासन की तत्परता और परिजनों की मांगों को मानकर लिए गए फैसलों से स्थिति को नियंत्रित किया गया है। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि सरकार कब तक नौकरी देने के प्रस्ताव को मंजूरी देती है और जांच में क्या सच्चाई सामने आती है।
समाज की निगाहें अब पुलिस विभाग और सरकार की आगामी कार्यवाही पर टिकी हैं। क्या हरचंदराम बंजारा को न्याय मिलेगा?