✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा



सोजत (राजस्थान), 9 जुलाई 2025
सोजत सर्कल के चंडावल थाना क्षेत्र में नागौर जिले के टागली गांव निवासी हरचंद राम बंजारा (उम्र 50 वर्ष) की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। परिजनों ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने हरचंद राम को हिरासत में लेकर बेरहमी से पीटा, जिससे उसकी मौत हो गई। इस घटना के बाद क्षेत्र में सनसनी फैल गई है, वहीं परिजन शव को लेकर सोजत SDM कोर्ट पहुंचे और धरने पर बैठ गए।
परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप, मांगा न्याय
हरचंद राम के परिजनों का कहना है कि पुलिस ने उसे बिना किसी ठोस कारण के चंडावल चौकी और वहीं उसे बेरहमी से पीटा गया। परिजनों ने दावा किया कि पुलिसिया पिटाई के कारण हरचंद राम की हालत बिगड़ी और इलाज के अभाव में उसकी मौत हो गई।
घटना के बाद गुस्साए परिजन शव को लेकर सोजत एसडीएम कार्यालय पहुंचे और वहां धरना शुरू कर दिया। धरने में मृतक की पत्नी, बेटा, भाई समेत गांव के लोग शामिल हुए और न्याय की मांग करने लगे।
परिजनों की तीन प्रमुख मांगें
धरने के दौरान परिजनों ने तीन प्रमुख मांगें प्रशासन के समक्ष रखीं:
- मृतक के परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए।
- परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए।
- चंडावल चौकी में तैनात दोषी पुलिसकर्मियों को तत्काल निलंबित किया जाए।
परिजनों का कहना है कि जब तक उनकी ये मांगें पूरी नहीं होंगी, तब तक वे शव का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे।
गांव में पसरा मातम, ग्रामीणों में उबाल
मृतक हरचंद राम बंजारा की मौत के बाद नागौर जिले के टागली गांव में मातम पसरा हुआ है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने हरचंद के साथ अन्याय किया है। कई ग्रामीण सोजत पहुंचे और धरने में शामिल होकर प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।
वहीं कई सामाजिक संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने भी इस मामले को गंभीर बताते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है।
प्रशासन और पुलिस पर उठ रहे सवाल
अब तक पुलिस या प्रशासन की ओर से कोई ठोस बयान सामने नहीं आया है। इससे आमजन के बीच संदेह और गहरा हो गया है। चंडावल चौकी की भूमिका को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं।
स्थानीय नागरिकों और जनप्रतिनिधियों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि इस मामले में निष्पक्ष मजिस्ट्रेट जांच हो और दोषी पुलिसकर्मियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए।
क्या कहता है मानवाधिकार कानून?
हिरासत में किसी भी व्यक्ति की मौत होने पर राज्य सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह तुरंत निष्पक्ष जांच करवाए। यदि पुलिस की पिटाई से मौत होती है, तो यह न केवल मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है बल्कि पुलिस एक्ट और आईपीसी के तहत दंडनीय अपराध भी है।
इंसाफ की लड़ाई की शुरुआत, अब देखना है प्रशासन क्या करता है
हरचंद राम बंजारा की संदिग्ध मौत ने एक बार फिर पुलिस व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। परिजन न्याय की आस में शव को राजकीय चिकित्सालय सोजत की मोचरी में रखवाया, के साथ धरने पर बैठे हैं। अब देखना यह होगा कि प्रशासन उनकी मांगों को कितनी गंभीरता से लेता है और क्या वाकई दोषियों को सजा दिलाकर पीड़ित परिवार को न्याय मिलता है?
📍 घटनाक्रम संक्षेप में:
- हरचंद राम बंजारा की हिरासत में संदिग्ध मौत
- पुलिस पर पिटाई का गंभीर आरोप
- शव सोजत मोचरी में रखवा कर, के साथ परिजनों का एसडीएम कोर्ट पर धरना
- मुआवजा, नौकरी और दोषी पुलिसकर्मियों के निलंबन की मांग
🗣️ जनता की मांग साफ है: पुलिसिया जुल्म के खिलाफ हो सख्त कार्रवाई, मृतक परिवार को मिले न्याय।