✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा

राजस्थान में दिनों-दिन जमीनों के दाम आसमान छू रहे हैं। इसकी तपिश अब समाज और परिवारों तक पहुंच चुकी है। हाल ही में हुए कानूनों में संशोधन के बाद बहनों को संपत्ति में बराबरी का अधिकार मिला, लेकिन इस अधिकार को लेकर प्रदेशभर में नए विवाद खड़े हो रहे हैं। कई परिवार ऐसे हैं, जहाँ बहन-भाई का वर्षों पुराना प्रेम और विश्वास अब जमीन की कीमतों के बोझ तले टूट रहा है।
कानूनी बदलाव के बाद बढ़े दावे
सरकार द्वारा कानून में संशोधन के बाद बहनों को पैतृक संपत्ति में पूरा हिस्सा मिलने लगा। यह फैसला महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए बेहद महत्वपूर्ण कदम माना गया, परंतु इसके सामाजिक प्रभाव अब नए विवादों का कारण बनते दिखाई दे रहे हैं।
जैसे-जैसे भूमि के दाम बढ़े, वैसे-वैसे कई बहनों ने अपने हिस्से का दावा करना शुरू किया। कई घरों में आपसी बातचीत और समझाइश से समाधान निकला, लेकिन अनेक परिवारों में मामला अदालत तक पहुंच गया।
जमीन के टुकड़े ने तोड़ी रिश्तों की डोर
राजस्थान में कई परिवार ऐसे सामने आए हैं जहाँ बहनें अपने भाइयों पर सीधे मुकदमे दर्ज करा रही हैं। कुछ मामलों में बहन के ससुराल के दबाव, कुछ में लालच और कुछ में गलतफहमी की वजह से रिश्तों का विश्वास टूटता नजर आ रहा है।
लोगों का कहना है कि पहले बहन-भाई का रिश्ता त्याग, प्रेम और भावनाओं से भरा होता था, लेकिन जमीन महंगी होने से अब बहनें अपने हिस्से पर अड़ जाती हैं और परिवार अदालतों के चक्कर काटने को मजबूर हो जाते हैं।
परिवार का ताना-बाना बिखर रहा है
कई गांवों में यह स्थिति बेहद चिंताजनक हो चुकी है। एक जमीन के टुकड़े के लिए परिवार टूट रहे हैं, भाई-बहन बात करना छोड़ रहे हैं, और बुजुर्ग माता-पिता दो पाटों के बीच पिस रहे हैं।
एक भाई ने कहा—
“हमने अपनी बहन को हमेशा बेटी की तरह माना, लेकिन आज वह कोर्ट में केस कर रही है। जमीन क्या इतनी बड़ी हो गई कि रिश्ते छोटे पड़ गए?”
समाज में हैरानी और दुख का माहौल
ग्रामीण इलाकों में यह चर्चा आम है कि पहले भाई-बहन के बीच ऐसा माहौल कभी नहीं होता था। बहन मायके आती तो घर में रौनक होती, लेकिन अब बहन का नाम आते ही परिवार तनाव में आ जाता है।
लोगों का कहना है कि अधिकार मिलना अच्छी बात है, लेकिन रिश्तों को बचाने के लिए संवाद की जरूरत है। जमीन तो आज है, कल नहीं भी हो सकती, पर रिश्ते एक बार टूट जाएं तो फिर कभी नहीं जुड़ते।
विशेषज्ञों की सलाह
कानूनी विशेषज्ञ कहते हैं—
बातचीत और समझाइश से समाधान सबसे बेहतर तरीका है।
परिवार आपसी सहमति से बंटवारा करें तो विवाद नहीं बढ़ेगा।
अदालत में जाने से रिश्ते हमेशा के लिए बिगड़ जाते हैं।
जमीन की बढ़ती कीमतें न केवल आर्थिक दबाव बढ़ा रही हैं, बल्कि भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को भी चोट पहुंचा रही हैं। समाज के लिए यह बेहद चिंतन का विषय है कि कहीं हम भौतिकता की दौड़ में अपने सबसे मजबूत रिश्ते खो न दें।
