भारत में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिसका सीधा असर नारियल तेल और अन्य खाद्य तेलों के छोटे पैकेट्स की कीमतों पर पड़ेगा। यह फैसला न केवल कंपनियों के लिए फायदेमंद है, बल्कि आम नागरिकों के लिए भी राहत का कारण बना है।
सुप्रीम कोर्ट ने छोटे पैकेट में बेचे जाने वाले नारियल तेल को खाद्य तेल के रूप में वर्गीकृत करने का फैसला दिया है, जिससे इस पर हेयर ऑयल पर लगने वाले 18% टैक्स की बजाय खाद्य तेल पर लगने वाला 5% टैक्स लागू होगा। इससे नारियल तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का खतरा टल गया है और उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिली है।

नारियल तेल पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, अब आम लोगों को मिलेगा फायदा
यह मामला था क्या?
यह मामला भारतीय उत्पाद शुल्क और टैक्सेशन से जुड़ा हुआ था, जिसमें यह सवाल उठाया गया था कि छोटे पैकेट में बेचे जाने वाले नारियल तेल को खाद्य तेल के रूप में वर्गीकृत किया जाए या फिर हेयर ऑयल के रूप में। यदि इसे हेयर ऑयल के रूप में वर्गीकृत किया जाता, तो उस पर 18% टैक्स लागू होता, जो कि खाद्य तेल के मुकाबले अधिक था। इस पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें छोटे पैकेट में नारियल तेल को हेयर ऑयल के रूप में वर्गीकृत करने और उस पर 18% टैक्स लगाने की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ, जिसमें CJI संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आर महादेवन शामिल थे, ने 17 अक्टूबर 2024 को इस मामले पर फैसला सुरक्षित किया था। अदालत ने अब इस याचिका को खारिज करते हुए फैसला सुनाया कि छोटे पैकेट में बेचा जाने वाला नारियल तेल खाद्य तेल के रूप में ही माना जाएगा, और उस पर 5% टैक्स लगेगा, न कि 18%।
यह फैसला क्यों अहम है?
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला 15 वर्षों से लंबित एक केस का परिणाम है। यह मामला 2009 में CESTAT (केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क अपीलीय न्यायाधिकरण) में उठा था, जहां CESTAT ने नारियल तेल को खाद्य तेल के रूप में वर्गीकृत किया था और उस पर कम टैक्स लगाने का आदेश दिया था। इसके बाद 2018 में सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने इस मुद्दे पर विभाजित निर्णय दिया था। अब, इस मामले को सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ के सामने लाया गया, जिन्होंने अंततः इस मामले का निपटारा किया।
क्या होगा इसका असर?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, छोटे पैकेट्स में बिकने वाले नारियल तेल पर 18% की जगह केवल 5% टैक्स लगेगा। इससे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका कम हो गई है। इससे न केवल नारियल तेल की कीमतों में राहत मिलेगी, बल्कि उपभोक्ताओं को भी फायदा होगा, क्योंकि तेल की कीमतें नियंत्रित रहेंगी।
इसके अलावा, इस फैसले का असर अन्य तेलों की कीमतों पर भी पड़ सकता है, क्योंकि जैतून का तेल, तिल तेल, मूंगफली तेल और अन्य खाद्य तेलों का इस्तेमाल दोनों उद्देश्यों के लिए—खाना पकाने और हेयर ऑयल के रूप में—होता है। ऐसे तेलों के छोटे पैकेट्स पर टैक्स की पुनर्वर्गीकरण की आवश्यकता हो सकती है, जिससे उनके दाम भी प्रभावित हो सकते हैं।
15 साल लंबा मुकदमा
इस मामले का इतिहास बहुत पुराना है। इसे 2009 में पहली बार CESTAT में उठाया गया था, और वहां से नारियल तेल को खाद्य तेल के रूप में वर्गीकृत किया गया था। हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर विवाद बढ़ गया, और इसे 2018 में दो जजों की पीठ के समक्ष लाया गया। इस दौरान विभिन्न स्तरों पर फैसले और विभाजन हुए, और अंत में यह मामला सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ के पास पहुंचा। अदालत ने 17 अक्टूबर को इस मामले पर अंतिम फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे अब 2024 में सुनाया गया।
आम लोगों को फायदा
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से आम जनता को भी सीधे फायदा हुआ है। पहले, यदि नारियल तेल को हेयर ऑयल के रूप में वर्गीकृत किया जाता, तो उस पर 18% की टैक्स दर लगती, जिससे तेल के दाम बढ़ जाते। लेकिन अब, खाद्य तेल के रूप में वर्गीकृत किए जाने की वजह से इस पर केवल 5% का टैक्स लगेगा, जिससे कीमतों में स्थिरता बनी रहेगी और आम लोगों को राहत मिलेगी। खासकर उन लोगों को, जो नारियल तेल का इस्तेमाल खाना पकाने के साथ-साथ हेयर ऑयल के रूप में भी करते हैं, उन्हें इस फैसले से बड़ा लाभ होगा।
अन्य तेलों पर भी हो सकता है असर
इस फैसले का असर केवल नारियल तेल तक सीमित नहीं रहेगा। अन्य तेलों जैसे जैतून का तेल, तिल तेल, मूंगफली तेल, जो दोनों ही उद्देश्यों के लिए उपयोग होते हैं—खाना पकाने और हेयर ऑयल के रूप में—उन पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है। इन तेलों को लेकर भी अब टैक्स की नीतियों में बदलाव हो सकता है, जिससे इनकी कीमतें प्रभावित हो सकती हैं।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न केवल कंपनियों के लिए बल्कि आम लोगों के लिए भी एक बड़ी राहत लेकर आया है। छोटे पैकेट्स में बेचे जाने वाले नारियल तेल पर 18% टैक्स की बजाय केवल 5% टैक्स लागू होने से तेल की कीमतों पर स्थिरता रहेगी। इसके साथ ही अन्य तेलों पर भी इसके प्रभाव का अनुमान लगाया जा सकता है। 15 वर्षों के बाद इस मामले का निपटारा हुआ, और अब इसका असर सीधे तौर पर उपभोक्ताओं और तेल उद्योग दोनों पर पड़ेगा।