✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
वॉशिंगटन/नई दिल्ली। दुनिया की सबसे बड़ी मैसेजिंग ऐप व्हाट्सएप को उसके ही घरेलू बाजार अमेरिका में जोरदार झटका लगा है। अमेरिकी संसद (हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स) ने अपने सभी कर्मचारियों को सरकारी मोबाइल और कंप्यूटर पर व्हाट्सएप इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस फैसले की वजह साइबर सुरक्षा और डेटा प्राइवेसी को लेकर बढ़ती चिंताएं बताई गई हैं।
सरकारी कर्मचारियों को अब व्हाट्सएप पर ‘NO’, Signal और Microsoft Teams पर ‘YES’
नई गाइडलाइंस के अनुसार, व्हाट्सएप ऐप और व्हाट्सएप वेब दोनों को अमेरिकी कांग्रेस से जुड़े किसी भी सरकारी डिवाइस पर इंस्टॉल या एक्सेस नहीं किया जा सकेगा। इसके बदले कर्मचारियों को Microsoft Teams, Signal, iMessage और FaceTime जैसे वैकल्पिक सुरक्षित प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करने को कहा गया है।
यह कदम ऐसे वक्त में उठाया गया है जब साइबर हमलों और विदेशी डेटा लीक की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। माना जा रहा है कि अमेरिका की खुफिया एजेंसियों ने व्हाट्सएप को लेकर संभावित सुरक्षा खतरे की चेतावनी दी थी, जिसके बाद यह निर्णय लिया गया।
📉 मेटा के लिए बड़ा झटका, अमेरिका है ‘होम मार्केट’
व्हाट्सएप की पेरेंट कंपनी मेटा (Meta) के लिए यह फैसला भारी पड़ सकता है क्योंकि अमेरिका कंपनी का होम मार्केट है। सरकारी संस्थानों में इस तरह का प्रतिबंध मेटा की साख और भरोसे को गहरा नुकसान पहुंचा सकता है।
गौरतलब है कि मेटा लंबे समय से व्हाट्सएप को केवल एक चैटिंग ऐप से आगे ले जाकर कमर्शियल और एड प्लेटफॉर्म में बदलने की कोशिश कर रही है। महज एक हफ्ते पहले ही मेटा ने व्हाट्सएप में विज्ञापन शुरू करने का ऐलान किया था। हालांकि, मौजूदा प्रतिबंध का उन विज्ञापनों से कोई सीधा संबंध नहीं है, लेकिन इससे मेटा की योजनाओं पर निश्चित रूप से नकारात्मक असर पड़ सकता है।
📲 क्या है अमेरिका की चिंता?
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि व्हाट्सएप एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन का दावा तो करता है, लेकिन इसका मालिकाना हक विदेशी कंपनी मेटा के पास है, जिसका सर्वर नियंत्रण अमेरिकी एजेंसियों के लिए पारदर्शी नहीं है। इसके अलावा, डेटा ट्रैकिंग, बैकअप लीक और थर्ड-पार्टी एक्सेस की आशंकाएं भी सुरक्षा एजेंसियों को लंबे समय से परेशान कर रही थीं।
क्या भारत में भी ऐसा हो सकता है?
यह सवाल अब भारत जैसे देशों के सामने भी उठने लगा है, जहां सरकारी विभागों में अब भी व्हाट्सएप का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि अमेरिका का यह कदम ग्लोबल उदाहरण बन सकता है, और भविष्य में अन्य देश भी सरकारी संचार के लिए देशज या अधिक सुरक्षित प्लेटफॉर्म पर शिफ्ट हो सकते हैं।
‘व्हाट्सएप की दीवारें हिलने लगी हैं?’
अमेरिकी कांग्रेस का यह फैसला भले ही तकनीकी नजरिए से लिया गया हो, लेकिन इसके राजनीतिक और कारोबारी नतीजे दूरगामी हो सकते हैं। व्हाट्सएप जैसी दुनिया की सबसे भरोसेमंद मैसेजिंग सर्विस की सुरक्षा पर शक जताया जाना खुद मेटा के लिए चिंता की घंटी है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि मेटा इस संकट से कैसे उबरती है, और क्या अन्य सरकारें भी अमेरिका की राह पर चलेंगी?
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