राजस्थान में वायु प्रदूषण का संकट गहराता जा रहा है। हाल के दिनों में हवा की गुणवत्ता में लगातार गिरावट देखी गई है, जिससे राज्य के कई जिले जहरीली हवा के साए में आ गए हैं। मौसम केंद्र जयपुर की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ दिनों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि झुंझुनू जिले में AQI ने रिकॉर्ड स्तर 331 तक पहुंचकर खतरनाक स्थिति का संकेत दिया है। राज्य के अन्य कई जिले भी रेड जोन में शामिल हो गए हैं, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत खतरनाक है।

राजस्थान में बढ़ते प्रदूषण का संकट: कई जिलों में हवा बेहद जहरीली, झुंझुनू में AQI ने पार किए सारे रिकॉर्ड
प्रमुख जिलों की स्थिति
मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, राजस्थान में कई जिलों का AQI खतरनाक स्तर पार कर गया है।
- झुंझुनू: 331 (रेड जोन में)
- जालौर: 319
- पाली: 324
- सिरोही: 308
- सीकर: 319
इन जिलों में जहरीली हवा का प्रभाव स्वास्थ्य पर गंभीर रूप से पड़ सकता है। इसके अलावा, बीते दिन चूरू का AQI 310, अलवर 259, भिवाड़ी 243, बीकानेर 266, जैसलमेर 253, और जोधपुर का 290 दर्ज किया गया था। फलोदी और सीकर जैसे क्षेत्रों में भी हवा की गुणवत्ता बेहद खराब रही, जहां AQI क्रमशः 276 और 207 रहा। ये आंकड़े राज्य के पर्यावरण और स्वास्थ्य पर मंडराते खतरों को स्पष्ट करते हैं।
उद्योगों पर लगा प्रतिबंध
प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए राज्य प्रशासन ने त्वरित कदम उठाए हैं। एनसीआर क्षेत्र में 3,000 से अधिक माइंस और उद्योग इकाइयों को बंद कर दिया गया है।
- अलवर, भिवाड़ी, भरतपुर: इन जिलों में सभी औद्योगिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
- ईंट भट्टों पर रोक: प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने ईंट भट्टों के संचालन पर रोक लगाते हुए स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया है।
- स्टेज-3 का प्रभाव: स्टेज-3 के प्रदूषण स्तर को पार करने के बाद ये निर्णय लिया गया है।
तापमान में गिरावट और प्रदूषण का प्रभाव
मौसम में आई ठंडक ने वायु प्रदूषण को और बढ़ा दिया है। ठंड के मौसम में हवा की गति धीमी हो जाती है, जिससे प्रदूषण के कण हवा में ही स्थिर हो जाते हैं।
राजस्थान के कुछ जिलों का तापमान गिरने के साथ ही प्रदूषण का प्रभाव और गहरा हो गया है। जालौर, पाली, और सिरोही जैसे जिले रेड जोन में शामिल हो गए हैं, जहां AQI 300 से अधिक पहुंच गया है। वहीं, कोटा (153), पुष्कर (147), टोंक (170), उदयपुर (182), और माउंट आबू (162) जैसे इलाकों में हालात अपेक्षाकृत बेहतर हैं, लेकिन यहां भी स्थिति सामान्य से खराब है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
विशेषज्ञों के अनुसार, 300 से अधिक AQI वाली हवा में सांस लेना गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है। यह विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों, और पहले से बीमार व्यक्तियों के लिए खतरनाक है।
- श्वसन तंत्र पर प्रभाव: सांस लेने में कठिनाई, खांसी, और दमा जैसे रोग बढ़ सकते हैं।
- हृदय संबंधी बीमारियां: जहरीली हवा हृदय रोगियों के लिए खतरनाक हो सकती है।
- नेत्र और त्वचा पर असर: प्रदूषण के कारण आंखों में जलन और त्वचा रोग हो सकते हैं।
प्रशासन का अलर्ट मोड
प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए प्रशासन अलर्ट मोड पर है। जागरूकता फैलाने और नियमों को लागू करने के लिए प्रशासन ने सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने और निजी वाहनों के उपयोग को कम करने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। साथ ही, स्कूलों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर विशेष सावधानियां बरतने की सलाह दी गई है।
आगे का रास्ता
राजस्थान के बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए दीर्घकालिक योजनाओं की आवश्यकता है। इसमें ग्रीन कवर को बढ़ाना, उद्योगों में प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों का उपयोग, और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को अपनाना शामिल है।
राज्य सरकार और नागरिकों को मिलकर इस समस्या का समाधान निकालना होगा ताकि भविष्य की पीढ़ियों को एक स्वस्थ पर्यावरण मिल सके।