✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा

राजस्थान के बाड़मेर जिले के चौहटन उपखंड क्षेत्र के धारासार गांव से एक ऐसी प्रेरणादायक घटना सामने आई है, जिसने मानवता और पारिवारिक प्रेम की मिसाल पेश की है। 55 वर्षीय धोली देवी ने अपने 14 वर्षीय पोते गणेश गौड़ को एक नई जिंदगी देने के लिए अपनी किडनी दान कर दी।
गणेश की दोनों किडनियां खराब हो चुकी थीं, जिससे परिवार में गहरा दुख और चिंता छा गई थी। डॉक्टरों ने स्पष्ट कर दिया था कि किडनी ट्रांसप्लांट के बिना गणेश की जान बचाना संभव नहीं होगा। ऐसे मुश्किल समय में, धोली देवी ने अपने पोते की जान बचाने का साहसिक निर्णय लिया।
एम्स जोधपुर में हुआ सफल ऑपरेशन
एम्स जोधपुर में डॉक्टरों की एक टीम ने किडनी ट्रांसप्लांट का ऑपरेशन सफलतापूर्वक पूरा किया। डॉक्टरों ने धोली देवी की किडनी गणेश को ट्रांसप्लांट की, जिससे गणेश अब स्वस्थ हो रहा है। डॉक्टरों के अनुसार, गणेश की स्थिति में तेजी से सुधार हो रहा है, और वह जल्द ही सामान्य जीवन जीने में सक्षम होगा।
दादी का साहस बना प्रेरणा
धोली देवी का यह कदम परिवार और पूरे गांव के लिए प्रेरणा बन गया है। परिवार ने धोली देवी के इस साहसिक निर्णय की सराहना की है, और गांववाले भी उनकी प्रशंसा करते नहीं थक रहे।
परिवार ने जाहिर की खुशी
गणेश के माता-पिता और परिजन इस अद्भुत घटना से बेहद खुश हैं। उनका कहना है कि धोली देवी ने न केवल गणेश को नई जिंदगी दी है, बल्कि परिवार को एक नई उम्मीद और प्रेरणा भी दी है।
धोली देवी का संदेश
धोली देवी ने कहा, “परिवार के लिए कुछ भी करना सबसे बड़ा धर्म है। गणेश मेरा पोता ही नहीं, मेरी जान है। यदि मेरी किडनी से उसकी जान बच सकती थी, तो यह मेरा सौभाग्य है।”
इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि जब बात अपनों की हो, तो उम्र और सीमाएं कोई मायने नहीं रखतीं। धोली देवी का यह साहसिक कदम न केवल परिवार बल्कि समाज के लिए भी एक अनुकरणीय उदाहरण है।