राजस्थान के डीग जिले में एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है। 10वीं कक्षा की एक छात्रा का स्कूल से लौटते समय बदमाशों ने तमंचे के दम पर अपहरण कर लिया। यह घटना न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि पुलिस की भूमिका पर भी गंभीर संदेह पैदा करती है।
घटना का विवरण
छात्रा अपने स्कूल से पेपर देकर बाहर निकली ही थी कि अचानक कुछ बदमाश वहां पहुंचे और उसे जबरदस्ती अपने वाहन में बैठाने लगे। घटना स्थल पर मौजूद लोगों ने छात्रा को बचाने की कोशिश की, लेकिन अपहरणकर्ताओं ने हवाई फायरिंग कर लोगों को डरा दिया। बदमाशों की इस हरकत से स्थानीय लोग पीछे हट गए, और वे छात्रा को लेकर फरार हो गए।

डीग में 10वीं की छात्रा का तमंचे के दम पर अपहरण, पुलिस की कार्यशैली पर उठे सवाल
परिवार का आरोप
छात्रा के पिता ने तुरंत पास के पहाड़ी थाने में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने अपनी बेटी की शादी एक साल पहले गोपालगढ़ के एक युवक से कराई थी। शादी के बाद से ही ससुराल वाले दहेज को लेकर छात्रा को परेशान करने लगे, जिसके कारण उसे ससुराल से वापस अपने घर लाना पड़ा। परिवार को शक है कि अपहरण में ससुराल पक्ष का हाथ हो सकता है।
पुलिस की निष्क्रियता
अपहरण की घटना को 24 घंटे से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन अब तक पुलिस के हाथ कोई सुराग नहीं लगा है। यह पुलिस की कार्यक्षमता पर सवाल खड़े करता है। छात्रा के माता-पिता ने आरोप लगाया है कि जब वे एफआईआर दर्ज कराने थाने पहुंचे, तो वहां एसएचओ बनै सिंह गुर्जर ने उनके साथ बदसलूकी की।
एसएचओ पर गंभीर आरोप
माता-पिता का कहना है कि एसएचओ ने उनकी शिकायत को झूठा करार दिया और उन्हें धमकाने की कोशिश की। उन्होंने आरोप लगाया कि एसएचओ ने घटना को “ढोंग” बताते हुए कहा कि परिवार झूठा मामला गढ़ रहा है। यह रवैया न केवल पीड़ित परिवार के लिए आघात है, बल्कि पुलिस की साख पर भी सवाल खड़े करता है।
सीसीटीवी फुटेज और पुलिस का रवैया
घटना के सीसीटीवी फुटेज सामने आए हैं, जिनमें अपहरण की पूरी घटना कैद है। फुटेज में साफ दिखाई दे रहा है कि छात्रा को जबरदस्ती वाहन में बैठाया गया। बावजूद इसके, एसएचओ बनै सिंह इसे झूठा मामला बता रहे हैं। यह रवैया पुलिस की निष्क्रियता और लापरवाही को उजागर करता है।
राजनेताओं और अधिकारियों का संरक्षण?
एसएचओ बनै सिंह के खिलाफ पहले भी शिकायतें मिल चुकी हैं, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इससे सवाल उठता है कि क्या उन्हें राजनेताओं और उच्च अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है? क्या यही कारण है कि वे पीड़ितों के साथ बदसलूकी करने और अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ने में सक्षम हैं?
जनता में आक्रोश
घटना के बाद स्थानीय लोगों और पीड़ित परिवार में आक्रोश है। लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या पुलिस अब जनता की सुरक्षा करने में असमर्थ हो चुकी है? क्या डीजीपी यू.आर. साहू इस मामले में कोई कार्रवाई करेंगे, या फिर यह मामला भी अन्य घटनाओं की तरह दबा दिया जाएगा?
प्रशासन और पुलिस की जिम्मेदारी
यह घटना पुलिस और प्रशासन दोनों के लिए एक चेतावनी है। आम जनता को सुरक्षा का भरोसा दिलाने के लिए जरूरी है कि ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई हो। डीजीपी और उच्च अधिकारियों को न केवल एसएचओ बनै सिंह के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, बल्कि यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पीड़ित परिवार को न्याय मिले।