✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा

बेंगलुरु: कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु और तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के बीच निर्माणाधीन बेंगलुरु-चेन्नई एक्सप्रेसवे भारतमाला परियोजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह एक्सप्रेसवे, जिसकी कुल लंबाई 258 किलोमीटर है, वर्ष 2025 के अंत तक बनकर तैयार हो जाएगा।
परियोजना की शुरुआत और उद्देश्य
वर्ष 2018 में शुरू हुई इस परियोजना को वर्ष 2021 में राष्ट्रीय एक्सप्रेसवे-07 का दर्जा दिया गया। इसका उद्देश्य दोनों राज्यों के बीच यात्रा के समय को कम करना, परिवहन में सुगमता लाना, और आर्थिक-औद्योगिक विकास को गति देना है। यह एक्सप्रेसवे न केवल दूरी को 80 किलोमीटर तक घटाएगा बल्कि व्यापार और उद्योगों के लिए एक मजबूत गलियारा भी बनेगा।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
आर्थिक गलियारे का विकास: यह एक्सप्रेसवे कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच औद्योगिक और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देगा। स्थानीय उद्योगों और व्यापारियों को अपने उत्पादों को तेजी से बाजार तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।
यात्रा में सुगमता: एक्सप्रेसवे के माध्यम से यात्रियों को बेहतर और सुरक्षित यात्रा का अनुभव मिलेगा। स्थानीय निवासियों की दैनिक आवाजाही भी सुगम होगी।
पर्यावरण पर प्रभाव: यह आधुनिक तकनीक और पर्यावरणीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए बनाया जा रहा है, जिससे क्षेत्र में हरित परिवहन को प्रोत्साहन मिलेगा।
निर्माण और चुनौतियां
भारतमाला परियोजना के तहत बन रहे इस एक्सप्रेसवे के निर्माण में अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। हालांकि भूमि अधिग्रहण और पर्यावरणीय स्वीकृति जैसी चुनौतियां इस परियोजना के सामने आईं, लेकिन सरकार ने इसे समय पर पूरा करने का आश्वासन दिया है।
अंतिम चरण और भविष्य की उम्मीदें
बेंगलुरु-चेन्नई एक्सप्रेसवे न केवल इन दोनों शहरों को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण मार्ग होगा, बल्कि यह दक्षिण भारत में कनेक्टिविटी और आर्थिक विकास का नया अध्याय भी लिखेगा। इसके पूरा होने से क्षेत्रीय विकास को गति मिलेगी और नागरिकों को उच्चस्तरीय यात्रा सुविधाएं प्राप्त होंगी।
विशेषज्ञों का मत:
परिवहन विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक्सप्रेसवे दक्षिण भारत के लिए एक गेम-चेंजर साबित होगा, जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय निवेश को भी आकर्षित करेगा।