सोजत। कबीर पंथ के महंत राम विलास जी साहेब ने कहा कि संतों की वाणी का श्रवण करने से मन निर्मल बनता है। भक्ति के मार्ग में आने वाले दुख व कष्टों को सहन करना चाहिए, क्योंकि सहनशीलता शूरवीरों का आभूषण होती है।
महंत साहेब ने यह विचार संत श्री बींजाराम जी साहेब की 22वीं पुण्यतिथि पर आयोजित समारोह में व्यक्त किए।

संत श्री छोगाराम जी धर्मार्थ ट्रस्ट आश्रम, राम प्याऊ सोजत परिसर में समिति अध्यक्ष श्री बिरदीचंद गहलोत की अगुवाई में यह पावन समारोह श्रद्धा और उमंग के साथ संपन्न हुआ।
इस अवसर पर संत केशवदास जी साहेब, संत सागर बापू जी साहेब, खूमदास जी साहेब, बाबूदास जी साहेब और साध्वी चैनाबाई जी सहित अन्य संतों ने भी अपने प्रवचन देकर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद प्रदान किया।
समारोह में सुरेश परिहार, संपतराज गहलोत, मांगीलाल, पुनाराम, गणपतलाल सुथार, इंदरचंद, कैलाश, ओमप्रकाश जांगिड़, भंवरलाल भगत, रमेश, वेनाराम, गणपतलाल टांक सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे।