बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव 2025 के पहले ही सियासी हलचल तेज हो चुकी है। मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने चुनावी मैदान में अपनी नई रणनीति से सभी का ध्यान खींचा है। पार्टी मुख्यालय के बाहर लगे नए पोस्टरों ने राजनीतिक चर्चा को और हवा दे दी है। इन पोस्टरों से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की तस्वीरें नदारद हैं और उनकी जगह तेजस्वी यादव को पार्टी का चेहरा बनाकर पेश किया गया है।

बिहार चुनाव 2025: राजद ने खेला बड़ा दांव, पोस्टरों से गायब लालू, तेजस्वी बने चेहरा
लालू की गैरमौजूदगी और तेजस्वी का उभार
पटना स्थित राजद मुख्यालय के बाहर लगाए गए इन पोस्टरों में तेजस्वी यादव को बिहार का अगला मुख्यमंत्री बताने पर जोर दिया गया है। साथ ही पोस्टरों में पार्टी के चुनाव चिन्ह ‘लालटेन’ को प्रमुखता से दिखाया गया है। तेजस्वी यादव की योजनाओं और उनकी भविष्य की दृष्टि को इसमें केंद्र में रखा गया है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, यह कदम तेजस्वी को राजद के भविष्य के नेता और बिहार के अगले मुख्यमंत्री के रूप में स्थापित करने की दिशा में उठाया गया है। यह स्पष्ट संकेत है कि पार्टी अब पुराने चेहरे की बजाय नए नेतृत्व को प्राथमिकता दे रही है।
क्या 2020 की रणनीति का दोहराव हो रहा है?
यह पहली बार नहीं है जब राजद ने ऐसा कदम उठाया हो। 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी पार्टी ने तेजस्वी यादव को अपना प्रमुख चेहरा बनाकर चुनाव लड़ा था। उस समय लालू और राबड़ी देवी की तस्वीरों को भी प्रचार सामग्री से हटा दिया गया था। इस रणनीति का परिणाम यह हुआ कि राजद ने 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर अपना दबदबा बनाया, हालांकि वह सरकार बनाने से चूक गई।
राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि इस बार भी पार्टी उसी रणनीति पर काम कर रही है। तेजस्वी यादव को युवा, प्रगतिशील और सक्षम नेता के तौर पर प्रोजेक्ट करने से पार्टी व्यापक वर्ग को साधने की कोशिश कर रही है।
विरोधियों का हमला और राजद की सफाई
राजद की इस रणनीति पर विपक्षी दलों ने तीखा हमला किया है। जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने तंज कसते हुए कहा, “यह राजनीति का घोर कलयुग है। पुत्र ने अपने पिता को ही अप्रासंगिक कर दिया। लालू यादव का चेहरा अब राजद के लिए महत्वहीन हो गया है।”
वहीं, राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने इसका जवाब देते हुए कहा कि, “लालू यादव जनता के दिलों में बसे हैं। वे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहेंगे। लेकिन, तेजस्वी यादव पार्टी के नेतृत्वकर्ता और 2025 के चुनावी चेहरे हैं। यह बदलाव समय की जरूरत है और पार्टी की नई पीढ़ी को मजबूत करने की दिशा में कदम है।”
राजनीतिक समीकरण और संभावित प्रभाव
राजद का यह कदम राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार पार्टी को युवा और प्रगतिशील दिखाने की कोशिश है। यह रणनीति पार्टी को उसके पारंपरिक ‘एम-वाई’ (मुस्लिम-यादव) समीकरण से आगे बढ़ने में मदद कर सकती है। तेजस्वी यादव के नेतृत्व में पार्टी हर वर्ग को साधने और व्यापक समर्थन जुटाने का प्रयास कर रही है।
हालांकि, यह दांव जोखिम भरा भी हो सकता है। लालू यादव अब भी पार्टी के सबसे बड़े नेता माने जाते हैं, और उनकी अनुपस्थिति पार्टी के पुराने समर्थकों को नाराज कर सकती है।
क्या यह मास्टरस्ट्रोक साबित होगा?
राजद की यह नई रणनीति 2025 के चुनावों में कितनी सफल होगी, यह तो वक्त बताएगा। फिलहाल, पार्टी के भीतर और बाहर इस कदम को लेकर चर्चाओं का दौर गर्म है। तेजस्वी यादव को आगे कर पार्टी ने संकेत दिया है कि वह अब भविष्य की राजनीति पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
आगामी महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि राजद की यह नई छवि बिहार के मतदाताओं को कितना प्रभावित कर पाती है और क्या यह रणनीति पार्टी को सत्ता में वापसी का मौका दिला पाएगी।