पत्थर कटिंग करने की (गलैण्डर) से गला काटकर हत्या करने के आरोपी को आजीवन कारावास
वरिष्ठ पत्रकार अब्दुल समद राही
सोजत। माननीय अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश, सोजतसिटी श्री दिनेश कुमार गढ़वाल द्वारा हत्या के गम्भीर मामले में आरोपी सोजत सिटी निवासी हिमान्शु उर्फ सेन्टी पुत्र मोहनलाल को आजीवन कारावास एवं रूपये 50000 के अर्थदण्ड से दंडित किया।
माननीय अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश, सोजतसिटी श्री दिनेश कुमार गढवाल आरएचजेएस द्वारा अपर सेशन न्यायालय, सोजत में विचाराधीन सेशन प्रकरण संख्या 19/2021 सरकार बनाम हिमान्शु उर्फ सेन्टी वर्ग, में बाद आवश्यक सुनवाई आज दिनांक 5.2.2025 को निर्णय पारित कर मुलजिम हिमान्शु उर्फ सेन्टी पुत्र मोहनलाल को सोजतसिटी निवासी श्री कानाराम पुत्र श्री धीसाराम जी सिरवी उम्र 58 वर्ष की पत्थर कटिंग करने की कट्टर मशीन (गलैण्डर) से गला काटकर हत्या करने के अपराध में भारतीय दण्ड संहिता की धारा 302 भारतीय दण्ड संहिता के तहत दोषसिद्ध घोषित किया जाकर आजीवन कारावास की सजा एवं 50000/- रूपये अर्थदण्ड से दंडित किया गया।
अपर लोक अभियोजक पंकज कुमार त्रिवेदी ने बताया कि दिनांक 28.8. 2020 को सोजतसिटी निवासी देवाराम ने पुलिस थाना सोजत में एक रिपोर्ट पेश की कि उसके भाई कानाराम पुत्र धीसाराम ने सोजत सिटी मेहता मार्केट के सामने झरोखो वाली हवेली खरीदी थी जिसमें एक दुकान मोहनलाल पुत्र सोहनलाल को किराए पर दे रखी है उक्त दुकान को खाली कराने के नोटिस से नाराज होकर मेरे भाई को जान से मारने की नियत से दिनांक 28.8.2020 को हिमान्शु उर्फ सेन्टी ने कानाराम को आवाज लगाकर दुकान में बुलाया तथा बात करने का बहाना कर कानाराम के साथ हाथापाई की तथा रवि व चम्पालाल वगैराह ने कानाराम को पकड़ लिया तथा हिमांशु ने दुकान के अन्दर इलेक्ट्रिक बोर्ड से जुड़ी हुई पत्थर कटिंग करने की कट्टर मशीन से कानाराम का गला काट दिया जिससे खून बहने लगा। कानाराम को अस्पताल लेकर पहुंचे तब तक कानाराम की मृत्यु हो चुकी थी ।
उक्त रिपोर्ट पर पुलिस थाना सोजतसिटी द्वारा मुकदमा दर्ज कर अनुसंधान प्रारम्भ किया गया एवं बाद आवश्यक अनुसंधान तीनों मुलजिम हिमांशु उर्फ सेंटी, चम्पालाल व रवि प्रजापत को गिरफ्तार कर उनके विरूद्ध सक्षम न्यायालय में चालान पेश किया गया। न्यायालय अपर सेशन न्यायाधीश सोजत द्वारा तीनों आरोपियों के विरूद्ध आरोप अन्तर्गत धारा 302/34, 120 बी भारतीय दण्ड संहिता में आरोप विरचित कर सुनाए समझाए गए जिनसे इन्कार कर तीनों मुलजिमान ने अंवीक्षा चाही । बाद अंवीक्षा माननीय न्यायालय द्वारा मुलजिम हिमान्शु उर्फ सेन्टी को अपराध अन्तर्गत धारा 302 भारतीय दण्ड संहिता के अपराध में दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा एवं 50000 रू के अर्थदण्ड से दंडित किया गया तथा मुलजिम रवि प्रजापत व चम्पालाल को उनके विरूद्ध आरोपित अपराध धारा 302, 120बी भारतीय दण्ड संहित के अपराध में संदेह का लाभ देकर दोषमुक्त किया गया ।
उक्त प्रकरण में अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक, सोजत पंकज कुमार त्रिवेदी द्वारा पैरवी की गई। अभियोजन पक्ष ने इस मामले में मजबूत सबूत एवं गवाहों के बयानों के आधार पर माननीय न्यायालय के समक्ष अपनी ठोस दलीलें पेश की जिन पर माननीय न्यायालय ने गौर करते हुए एवं अपराध की गम्भीरता को देखते हुए मुलजिम हिमांशु उर्फ सेण्टी को आजीवन कारावास एवं पचास हजार रूपये के अर्थदण्ड की सजा सुनाई।