✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
जयपुर। राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र में शुक्रवार को प्रश्नकाल शुरू होते ही भारी हंगामा हुआ। मामला राज्य सरकार के एक कैबिनेट मंत्री के फोन टेपिंग के आरोपों से जुड़ा था। विपक्ष ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाते हुए मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
जैसे ही विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने सुबह 11 बजे कार्यवाही शुरू की, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने आरोप लगाया कि सरकार के एक कैबिनेट मंत्री का फोन टेप किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि खुद मंत्री ने इस पर सवाल उठाए हैं और इस पूरे मामले के लिए मुख्यमंत्री को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
विपक्ष के इन आरोपों के बाद सदन में हंगामा मच गया। भाजपा के विधायकों ने “मुख्यमंत्री इस्तीफा दो” के नारे लगाने शुरू कर दिए। करीब पांच मिनट तक सदन में जोरदार हंगामा चलता रहा।
सत्ता पक्ष और विपक्ष में तीखी बहस
विधानसभा अध्यक्ष ने विपक्ष से आग्रह किया कि प्रश्नकाल बाधित न करें, लेकिन भाजपा विधायकों ने अपनी मांग पर अड़े रहते हुए सदन को चलने नहीं दिया। सत्ता पक्ष के विधायकों ने कहा कि पहले प्रश्नकाल को चलने दिया जाए, बाद में इस मुद्दे पर चर्चा की जा सकती है।
भाजपा विधायकों ने कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले कार्यकाल में खुद उपमुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री पर फोन टेपिंग के आरोप लगाए थे। उस समय कांग्रेस ने कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन अब वे इस मुद्दे को उठा रहे हैं।
इस पर नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने पलटवार करते हुए कहा, “क्या आप इसलिए फोन टेप करा रहे हैं? हमारे समय में फोन टेपिंग का मुद्दा उठा था, लेकिन अब खुद आपकी सरकार के मंत्री ही इस पर सवाल उठा रहे हैं।”
“सौ-सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को जा रही है” – सत्ता पक्ष
सत्ता पक्ष के विधायकों ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि “आपने अपने कार्यकाल में सैकड़ों विधायकों और नेताओं के फोन टेप कराए, अब नैतिकता की बात कर रहे हैं?” भाजपा विधायकों ने कहा कि कांग्रेस शासन में फोन टेपिंग के कई मामले सामने आए थे, लेकिन तब कांग्रेस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।
हंगामे के बीच शुरू हुआ प्रश्नकाल
लगातार हंगामे के बीच भी विधानसभा अध्यक्ष ने प्रश्नकाल जारी रखने का निर्णय लिया। जैसे ही उन्होंने विधायक चंद्रभान का नाम पुकारा, मंत्री मदन दिलावर ने जवाब देना शुरू किया। लेकिन विपक्ष के विधायक तब तक “मुख्यमंत्री इस्तीफा दो” के नारे लगाते रहे।
हालांकि, विधानसभा अध्यक्ष ने साफ किया कि राज्यपाल के अभिभाषण पर मुख्यमंत्री अपना बयान देंगे, लेकिन इसके बावजूद सदन में हंगामा जारी रहा।
आगे क्या?
इस पूरे विवाद के बाद अब राजस्थान की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। भाजपा इस मुद्दे को लेकर सरकार पर दबाव बना रही है, वहीं सत्ता पक्ष इसे विपक्ष की रणनीति करार दे रहा है। देखना होगा कि आने वाले दिनों में क्या यह मुद्दा और गर्माएगा या सरकार कोई ठोस जवाब देगी।