✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
संगरूर/खनौरी बॉर्डर: किसान आंदोलन के प्रमुख नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की सेहत लगातार बिगड़ती जा रही है। डॉक्टरों के मुताबिक, उनकी हालत गंभीर बनी हुई है, और नसें बंद होने के कारण हाथों में ड्रिप लगाना संभव नहीं हो पा रहा। अब डॉक्टर उनकी पैरों की नसों के जरिए ड्रिप लगाने पर विचार कर रहे हैं।
चिकित्सकीय जटिलताओं के बीच आंदोलन जारी
डल्लेवाल का इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि उनके हाथों की नसें लगातार कमजोर हो चुकी हैं, जिससे ड्रिप चढ़ाना बेहद मुश्किल हो गया है। ऐसी स्थिति में किसी भी लापरवाही से उनकी सेहत को और ज्यादा नुकसान हो सकता है। डॉक्टरों ने उपचार के अन्य विकल्पों पर विचार शुरू कर दिया है।
14 फरवरी की बैठक पर संशय, महापंचायतों की तैयारी तेज
केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच 14 फरवरी को अहम बैठक प्रस्तावित है, जिसमें राजनीतिक और गैर-राजनीतिक दोनों संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। हालांकि, पिछले छह दिनों से डल्लेवाल का इलाज पूरी तरह रुका हुआ है, जिससे यह स्पष्ट नहीं है कि वे बैठक में भाग ले पाएंगे या नहीं।
इस बीच, किसान संगठनों ने 14 फरवरी से पहले तीन महापंचायतों का ऐलान किया है—
- 11 फरवरी: फिरोजपुर एसएसपी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन और रतनपुरा मोर्चे पर महापंचायत।
- 12 फरवरी: खनौरी बॉर्डर पर महापंचायत।
- 13 फरवरी: शंभू बॉर्डर पर महापंचायत।
किसान आंदोलन की प्रमुख मांगें
किसान संगठनों ने फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) समेत कुल 13 मांगों को लेकर 13 फरवरी 2023 को आंदोलन शुरू किया था। किसानों की मांगों को लेकर डल्लेवाल ने अनशन शुरू किया था, जिसके बाद उनकी सेहत लगातार गिरती चली गई।
प्रशासन की कोशिशें और डल्लेवाल का इनकार
डल्लेवाल की गंभीर हालत को देखते हुए पंजाब सरकार ने 22 जनवरी को उनके इलाज के लिए विशेष मेडिकल टीम गठित की थी। हालांकि, डल्लेवाल ने मेडिकल सहायता लेने से इनकार कर दिया था और कहा था कि जब तक प्रशासनिक अधिकारी किसानों के धरना स्थल पर नहीं आते, तब तक वे इलाज नहीं करवाएंगे।
इस बीच, किसान नेता काका सिंह कोटड़ा ने पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह से बातचीत की, जिसके बाद डीएसपी पातड़ां इंद्रपाल चौहान और एसएचओ सदर पातड़ां यशपाल समेत कई अधिकारी डल्लेवाल से मिलने पहुंचे।
किसान संगठनों में चिंता, सरकार पर दबाव बढ़ा
डल्लेवाल की बिगड़ती हालत को देखते हुए किसान संगठनों में भारी चिंता है। किसान नेता लगातार सरकार से उनकी मांगें पूरी करने की अपील कर रहे हैं। वहीं, सरकार पर भी आंदोलनकारियों के दबाव के बीच समाधान निकालने का दबाव बढ़ता जा रहा है।
आगे क्या होगा?
अब सभी की नजरें 14 फरवरी की बैठक और डल्लेवाल की सेहत पर टिकी हैं। अगर डल्लेवाल बैठक में शामिल नहीं हो पाते हैं तो किसान आंदोलन की रणनीति पर गहरा असर पड़ सकता है। वहीं, सरकार और किसान संगठनों के बीच मांगों को लेकर तनाव और बढ़ सकता है।