सोम प्रदोष व्रत आज: शिव कृपा से मिलेगा समस्त कष्टों से छुटकारा, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
भगवान शिव को प्रसन्न करने का शुभ अवसर
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को समर्पित होती है। इस दिन महादेव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करने से समस्त दुखों और पापों से मुक्ति मिलती है। आज सोमवार, 10 फरवरी को माघ मास का अंतिम प्रदोष व्रत मनाया जा रहा है, जिसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है।
धार्मिक मान्यता है कि जो व्यक्ति श्रद्धा और नियमपूर्वक प्रदोष व्रत करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उसके जीवन में शांति व समृद्धि आती है। इसके साथ ही, कुंडली में मौजूद अशुभ ग्रहों का प्रभाव भी समाप्त हो जाता है।
माघ माह का दूसरा और अंतिम प्रदोष व्रत आज
वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 9 फरवरी को शाम 07:25 बजे प्रारंभ हुई थी, और यह 10 फरवरी को शाम 07:00 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि को ध्यान में रखते हुए, सोम प्रदोष व्रत आज, 10 फरवरी, सोमवार को रखा जाएगा।
प्रदोष काल और पूजा का शुभ समय
प्रदोष काल: 9 फरवरी की शाम 07:25 मिनट से रात 08:42 मिनट तक
इस अवधि में भगवान शिव की पूजा करना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
सोम प्रदोष व्रत पर बन रहे शुभ योग
आज के दिन कई दुर्लभ और शुभ योग बन रहे हैं, जो इस व्रत को और भी फलदायी बना रहे हैं।
विशेष योग:
- त्रिपुष्कर योग – कार्य सिद्धि और सफलता के लिए उत्तम
- प्रीति योग – शुभ कार्यों के लिए अनुकूल
- शिववास योग – भगवान शिव की पूजा का सर्वोत्तम समय
- पुनर्वसु नक्षत्र – समृद्धि और शुभता प्रदान करने वाला
इन विशेष योगों में शिव पूजन करने से व्यक्ति के जीवन से समस्त कष्ट दूर हो सकते हैं और जीवन में सुख-शांति आती है।
सोम प्रदोष व्रत के शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 05:20 बजे से 06:12 बजे तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02:26 बजे से 03:10 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 06:04 बजे से 06:30 बजे तक
निशिता मुहूर्त – रात 12:09 बजे से 01:01 बजे तक
सोम प्रदोष व्रत की पूजा विधि
पूजा की संपूर्ण प्रक्रिया:
- स्नान और संकल्प: प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
- शिवलिंग का अभिषेक: काले तिल को जल में मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें।
- पूजा सामग्री अर्पित करें:
- बेलपत्र, धतूरा, चंदन, अक्षत, भांग, शहद, और फल अर्पित करें।
- मंत्र जाप करें:
- “ॐ नमः शिवाय” का 108 बार जाप करें।
- शिव चालीसा और आरती: शिव चालीसा का पाठ करें और दीपक जलाकर आरती करें।
- प्रसाद वितरण: पूजा के अंत में प्रसाद वितरण करें और शिव कृपा की प्रार्थना करें।
इस विधि से पूजा करने पर भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
सोम प्रदोष व्रत का महत्व
- मनचाही इच्छाओं की पूर्ति: व्रत करने से इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
- ग्रह दोषों से मुक्ति: राहु-केतु और शनि की बाधा समाप्त होती है।
- आर्थिक समस्याओं का समाधान: धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।
- संतान सुख: संतान प्राप्ति और संतान की उन्नति के लिए शुभ।
- विवाह में आ रही बाधाओं का निवारण: अविवाहितों को योग्य जीवनसाथी मिलता है।
- स्वास्थ्य लाभ: रोगों से मुक्ति मिलती है और दीर्घायु प्राप्त होती है।
कैसे करें व्रत का पालन?
- पूरे दिन उपवास रखें और फलाहार करें।
- संध्या के समय शिव मंदिर जाकर अभिषेक और पूजा करें।
- व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
- रात्रि को भगवान शिव की आराधना के बाद ही भोजन ग्रहण करें।
प्रदोष व्रत के चमत्कारी लाभ
- जीवन में स्थायी सुख-शांति आती है।
- कर्ज और आर्थिक संकट दूर होते हैं।
- शत्रु पर विजय प्राप्त होती है।
- ग्रहों के बुरे प्रभाव समाप्त होते हैं।
- मन और मस्तिष्क शांत रहता है।
आज का सोम प्रदोष व्रत कई शुभ योगों से युक्त है, जो इसे और अधिक फलदायी बना रहा है। इस पावन दिन भगवान शिव की आराधना करने से भक्तों को सभी संकटों से मुक्ति मिल सकती है और जीवन में सुख-समृद्धि का संचार होता है। जो भी श्रद्धालु पूरी विधि-विधान से इस व्रत को करता है, उसे महादेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
हर हर महादेव!