(रिपोर्ट: ✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा)
फैक्ट्री में गंदगी और बिना लाइसेंस चल रहा था उत्पादन, टीम ने बंद कराई यूनिट
अजमेर। शहर के फॉयसागर रोड काजीपुरा इलाके में स्थित एक फैक्ट्री में बच्चों के लिए कुरकुरे और टॉफियां गंदगी के बीच बनाए जा रहे थे। बिना किसी फूड लाइसेंस के चल रही इस फैक्ट्री पर खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने छापा मारा और भारी अनियमितताएं पाए जाने के बाद फैक्ट्री को बंद करवा दिया।
यह कार्रवाई खाद्य सुरक्षा अधिकारी दीपक कुमार, केसरीनंदन शर्मा और अजय मोयल की संयुक्त टीम द्वारा की गई। फैक्ट्री संचालक नरेश आडवाणी के पास आवश्यक लाइसेंस नहीं था, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि बिना किसी मानक प्रक्रिया के खाद्य उत्पाद तैयार किए जा रहे थे।
गंदगी और मिलावट का अड्डा बनी थी फैक्ट्री
छापे के दौरान अधिकारियों ने पाया कि फैक्ट्री में भारी मात्रा में गंदगी थी। टॉफियों और कुरकुरों के निर्माण में घटिया गुणवत्ता के तेल और मिलावटी मसालों का इस्तेमाल किया जा रहा था। साथ ही, तैयार किए जा रहे खाद्य पदार्थों को खुले में रखा गया था, जिससे उन पर धूल-मिट्टी और कीड़े-मकौड़ों का असर पड़ रहा था।
टीम को फैक्ट्री में ऐसे रसायनों और रंगों का भी इस्तेमाल होते हुए मिला, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। पैकिंग यूनिट में साफ-सफाई की कोई व्यवस्था नहीं थी, और मजदूर भी बिना किसी सुरक्षा मानकों के खाद्य उत्पादन कर रहे थे।
बिना लाइसेंस हो रहा था उत्पादन, संचालक पर होगी सख्त कार्रवाई
खाद्य सुरक्षा टीम ने जब दस्तावेजों की जांच की, तो पता चला कि फैक्ट्री के पास फूड लाइसेंस भी नहीं था। संचालक नरेश आडवाणी इस फैक्ट्री को बिना किसी वैध अनुमति के चला रहे थे। टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए फैक्ट्री को सील कर दिया और सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे हैं।
खाद्य सुरक्षा अधिकारी दीपक कुमार ने बताया कि इस तरह की गैरकानूनी फैक्ट्रियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी, क्योंकि यह सीधे आम जनता, खासकर बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है। जांच रिपोर्ट आने के बाद संचालक पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
खाने-पीने की वस्तुओं में मिलावट पर लगातार होगी कार्रवाई
खाद्य सुरक्षा विभाग ने लोगों से अपील की है कि यदि उन्हें कहीं भी मिलावटी या गंदगी के बीच खाद्य उत्पाद बनते दिखें, तो इसकी सूचना तुरंत विभाग को दें। विभाग लगातार मिलावटी खाद्य पदार्थों के खिलाफ अभियान चला रहा है और गंदे माहौल में खाद्य उत्पाद बनाने वाली फैक्ट्रियों पर शिकंजा कस रहा है।