
उन्नाव में मासूम के साथ जघन्य अपराध: बच्चों की सुरक्षा को लेकर जागरूकता बढ़ाने की जरूरत
उन्नाव: उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने समाज को झकझोर कर रख दिया है। यहां एक 40 वर्षीय महिला ने 9 साल के मासूम बच्चे को बहला-फुसलाकर अपने घर बुलाया और उसका शारीरिक शोषण किया। यह शर्मनाक हरकत कई दिनों तक चलती रही, लेकिन जब बच्चे की तबीयत बिगड़ने लगी और उसने अपने पिता को आपबीती सुनाई, तो मामला सामने आया।
यह घटना केवल एक अपराध नहीं, बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी भी है कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर हमें अधिक सतर्क और जागरूक होने की जरूरत है।
कैसे हुआ खुलासा?
मामला शहर कोतवाली क्षेत्र के खजुरिया बाग इलाके का है। यहां रहने वाली शहनाज नाम की महिला अक्सर मोहल्ले के बच्चों को चॉकलेट और अन्य खाने-पीने की चीजें देने के बहाने अपने घर बुलाती थी। 9 साल के इस मासूम को भी उसने इसी तरह अपनी बातों में फंसाया और फिर उसके साथ गलत हरकतें करने लगी।
लगातार कई दिनों तक इस हरकत के कारण बच्चा शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर पड़ने लगा। वह उदास रहने लगा, उसकी तबीयत बिगड़ने लगी और वह अक्सर उल्टी करने लगा। जब पिता ने प्यार से उससे इसका कारण पूछा, तो उसने डरते-डरते पूरी सच्चाई बता दी।
बच्चे के बयान सुनते ही पिता के पैरों तले जमीन खिसक गई। उन्होंने बिना समय गंवाए कोतवाली थाना जाकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
पुलिस की कार्रवाई और आरोपी की तलाश
पिता की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और आरोपी महिला की तलाश की जा रही है। पुलिस का कहना है कि इस मामले में गंभीर धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी और दोषी को सख्त सजा दिलाने के लिए पूरी कोशिश की जाएगी।
इस घटना से क्या सीख ले सकते हैं?
यह घटना सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी भी है। अक्सर माता-पिता सोचते हैं कि बच्चे सिर्फ अजनबियों से ही खतरे में होते हैं, लेकिन कई बार यह खतरा परिचितों और पड़ोसियों से भी हो सकता है। इसलिए बच्चों को गुड टच और बैड टच की जानकारी देना और उनसे खुले संवाद बनाए रखना बहुत जरूरी है।
बच्चों की सुरक्षा के लिए माता-पिता क्या कर सकते हैं?
✔ गुड टच और बैड टच के बारे में बच्चों को सही जानकारी दें।
✔ यदि कोई अजनबी या जान-पहचान वाला असामान्य रूप से बच्चों के प्रति अधिक लगाव दिखाए, तो सतर्क हो जाएं।
✔ बच्चों को सिखाएं कि वे किसी भी गलत व्यवहार की तुरंत जानकारी माता-पिता को दें।
✔ अगर कोई बच्चा अचानक चुप रहने लगे, डरने लगे, या बीमार दिखने लगे, तो उससे प्यार से बात करें और उसकी परेशानियों को समझें।
✔ यदि कोई संदिग्ध गतिविधि दिखे, तो तुरंत पुलिस को सूचित करें।
समाज को मिलकर सुरक्षा का माहौल बनाना होगा
बच्चों की सुरक्षा केवल माता-पिता की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि पूरा समाज मिलकर इस दिशा में काम कर सकता है। पड़ोसियों, शिक्षकों और स्थानीय संगठनों को भी बच्चों के प्रति अधिक सतर्क और जागरूक होना चाहिए। यदि कोई संदिग्ध गतिविधि दिखती है, तो उसे अनदेखा न करें, बल्कि संबंधित अधिकारियों को जानकारी दें।
क्या होगी आरोपी को सजा?
इस मामले में पुलिस पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) और भारतीय दंड संहिता की गंभीर धाराओं के तहत कार्रवाई कर सकती है। यदि महिला दोषी पाई जाती है, तो उसे कठोर सजा हो सकती है।
बच्चों को बनाएं आत्मनिर्भर और जागरूक
बच्चों को यह सिखाना जरूरी है कि वे अपनी सीमाओं को पहचानें और किसी भी गलत हरकत के खिलाफ आवाज उठाने से न डरें।
✔ बच्चों को सिखाएं कि वे “ना” कहना सीखें।
✔ उन्हें बताएं कि यदि कोई गलत व्यवहार करता है, तो तुरंत माता-पिता या शिक्षक को बताएं।
✔ बच्चों के साथ खुलकर बातचीत करें, ताकि वे किसी भी डर के बिना अपनी बात कह सकें।
समाज को बदलने की जरूरत
इस घटना ने फिर साबित कर दिया है कि बच्चों की सुरक्षा के लिए सिर्फ कानून ही नहीं, बल्कि समाज की मानसिकता बदलने की भी जरूरत है। बच्चों के साथ दुर्व्यवहार करने वाले अपराधियों को सख्त सजा देने के साथ-साथ यह भी जरूरी है कि हम अपने बच्चों को सुरक्षित माहौल देने के लिए खुद पहल करें।
न्याय की उम्मीद में पीड़ित परिवार
इस घटना के बाद बच्चे का परिवार पुलिस से न्याय की उम्मीद लगाए बैठा है। समाज का भी यह कर्तव्य बनता है कि ऐसे मामलों में दोषियों को सख्त सजा दिलाने के लिए आवाज उठाए और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करे।
बच्चों की सुरक्षा सिर्फ कानून से नहीं, बल्कि समाज की सतर्कता और जागरूकता से भी सुनिश्चित की जा सकती है। हमें मिलकर एक सुरक्षित और स्वस्थ भविष्य के लिए प्रयास करना होगा।