सोजत के गैरियों के नृत्य ने होली में बांधा समां




सोजत, होली विशेष। राजस्थान की संस्कृति में रंगों और लोक परंपराओं का अनूठा संगम देखने को मिलता है, और इसी कड़ी में सोजत की होली परंपरागत गैर नृत्य के कारण बेहद खास रही। सोजत के ऐतिहासिक किले के पास हजारों लोगों की भीड़ उमड़ी, जहां गैरियों के नृत्य ने समां बांध दिया। चंग और ढोल की थाप पर युवा नर्तकों की टोली झूम उठी और पूरा माहौल रंगों और लोक संगीत की धुनों से गूंज उठा।
गेर नृत्य में दिखी राजस्थान की अनूठी परंपरा
होली के अवसर पर गैर नृत्य राजस्थान की लोक संस्कृति का अभिन्न अंग माना जाता है। सोजत में आयोजित इस कार्यक्रम में सैकड़ों गैरिए पारंपरिक वेशभूषा में सज-धज कर पहुंचे। सिर पर साफा, हाथों में लकड़ी की छड़ियां और उत्साह से भरे चेहरे… जैसे ही चंग और ढोल की थाप गूंजने लगी, गैरिए गोल घेरे में झूमने लगे। उन्होंने अनूठे तालमेल के साथ छड़ियों को आपस में टकराते हुए नृत्य किया, जिससे पूरा माहौल उल्लासपूर्ण हो गया।
किले के पास उमड़ी हजारों लोगों की भीड़
सोजत का ऐतिहासिक किला इस खास मौके पर लोगों की भीड़ से गुलजार हो गया। स्थानीय ग्रामीणों से लेकर शहरी दर्शकों तक, हर कोई इस अनोखे नृत्य का आनंद लेने के लिए यहां पहुंचा। चारों ओर गुलाल उड़ रही थी और लोग झूम-झूमकर रंगों के त्योहार का आनंद ले रहे थे।
राजस्थानी संगीत ने बांधा समां
गेर नृत्य के दौरान राजस्थानी लोक संगीत की मधुर धुनें माहौल को और भी शानदार बना रही थीं। ढोल, चंग, नागाड़े और बांसुरी की जुगलबंदी ने समां बांध दिया। गायक कलाकारों ने पारंपरिक होली गीत गाए, जिससे हर कोई मंत्रमुग्ध हो गया।
लोक कलाकारों का सम्मान, प्रशासन ने किया सराहनीय प्रयास
गैर नृत्य में भाग लेने वाले कलाकारों को स्थानीय प्रशासन और सामाजिक संगठनों द्वारा सम्मानित भी किया गया। नगर पालिका और पुलिस प्रशासन ने कार्यक्रम को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए विशेष इंतजाम किए। सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त थे, जिससे लोगों ने निश्चिंत होकर इस भव्य आयोजन का लुत्फ उठाया।
रंगों में सराबोर हुआ सोजत, पर्यटकों ने भी उठाया आनंद
सोजत की इस पारंपरिक होली को देखने के लिए अन्य जिलों और राज्यों से भी पर्यटक पहुंचे थे। कई विदेशी पर्यटकों ने भी रंगों और लोक संस्कृति के इस अनूठे संगम का हिस्सा बनकर राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव किया।
सोजत में गैर नृत्य के साथ मनाई गई होली ने इस बार भी अपनी भव्यता से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। लोक संगीत, नृत्य, चंग और ढोल की थाप के साथ पूरा शहर रंगों और उमंग से सराबोर हो गया। यह आयोजन न केवल पारंपरिक विरासत को संजोने का माध्यम बना, बल्कि आने वाली पीढ़ी को भी अपनी संस्कृति से जोड़ने का संदेश दिया।