✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
विचारण न्यायालय का फैसला बरकरार, एक साल की सजा और तीन लाख का जुर्माना
सोजत सिटी। चेक अनादरण के एक महत्वपूर्ण मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे) दिनेश कुमार गढवाल ने आरोपी गिरिश कुमार सांखला की अपील को खारिज कर दिया है। अदालत ने विचारण न्यायालय अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) सोजत के निर्णय और सजा को सही ठहराया, जिसमें आरोपी को एक वर्ष की सजा और तीन लाख रुपये के अर्थदंड से दंडित किया गया था।
क्या है पूरा मामला?
परिवादिया श्रीमती संतोषदेवी पत्नी जवरीलाल सरगरा, निवासी सोजत सिटी ने गिरिश कुमार सांखला के खिलाफ धारा 138, नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट (N.I. Act) के तहत अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट में परिवाद दायर किया था।
परिवाद के अनुसार, गिरिश सांखला ने व्यक्तिगत पहचान और भरोसे का फायदा उठाकर 1.50 लाख रुपये उधार लिए और इसके बदले चेक जारी किया। जब परिवादिया ने चेक को एसबीबीजे बैंक, सोजत सिटी में जमा किया, तो आरोपी ने जानबूझकर खाते में पेमेंट स्टॉप करवाकर चेक अनादरित करवा दिया।
इसके बाद, कानूनी प्रक्रिया के तहत परिवादिया ने आरोपी को नोटिस भेजा, लेकिन गिरिश सांखला ने चेक की राशि का भुगतान नहीं किया। ऐसे में परिवादिया ने कोर्ट में इस्तगासा दायर किया।
विचारण न्यायालय का फैसला
न्यायिक प्रक्रिया के तहत परिवादिया और आरोपी के बयान दर्ज किए गए। सुनवाई के बाद अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सोजत ने आरोपी को दोषी मानते हुए एक वर्ष की सजा और तीन लाख रुपये के अर्थदंड का आदेश दिया।
अर्थदंड की राशि में से 2.50 लाख रुपये परिवादिया को दिए जाने के निर्देश दिए गए और जुर्माना न चुकाने पर तीन महीने का अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा तय की गई।
एडीजे कोर्ट में अपील और निर्णय
गिरिश सांखला ने इस सजा के खिलाफ अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे) कोर्ट में अपील दायर की, लेकिन अदालत ने विचारण न्यायालय के फैसले को सही ठहराते हुए अपील को खारिज कर दिया।
परिवादिया की ओर से वकीलों की मजबूत पैरवी
इस मामले में परिवादिया की ओर से अधिवक्ता गजेन्द्र सोनी और अधिवक्ता अशोक गहलोत ने प्रभावी पैरवी की, जिसके चलते आरोपी की अपील अस्वीकृत कर दी गई और मूल सजा बरकरार रही।
न्यायपालिका का सख्त संदेश
इस फैसले से स्पष्ट संदेश गया है कि चेक अनादरण के मामलों में कोर्ट सख्ती से कार्रवाई कर रहा है। यह फैसला उन लोगों के लिए चेतावनी है, जो दूसरों के भरोसे को तोड़कर आर्थिक लेन-देन में गड़बड़ी करते हैं।