✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
sojat /सोजत /जयपुर। राजस्थान के बिजली उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। अब प्रदेश में कृषि उपभोक्ताओं को छोड़कर सभी घरेलू, वाणिज्यिक और औद्योगिक बिजली उपभोक्ताओं को बिजली उपभोग करने से पहले भुगतान करना अनिवार्य होगा। यानी अब पोस्टपेड बिलिंग की सुविधा समाप्त हो रही है और पूरी व्यवस्था को प्रीपेड सिस्टम में बदला जा रहा है। इसके तहत 1.43 करोड़ उपभोक्ताओं के कनेक्शन पर स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे।
अब बिजली के लिए करना होगा रिचार्ज
नई व्यवस्था के अनुसार, उपभोक्ताओं को मोबाइल की तरह पहले रिचार्ज करना होगा, तभी वे बिजली का उपभोग कर सकेंगे। वर्तमान में उपभोक्ता बिजली उपयोग करने के बाद बिल का भुगतान करते हैं, जिसे पोस्टपेड कहा जाता है। लेकिन अब यह सुविधा समाप्त कर दी जाएगी और केवल प्रीपेड सिस्टम ही उपलब्ध रहेगा।
बिजली कंपनियों को मिलेगा तगड़ा आर्थिक लाभ
इस नई व्यवस्था से बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम्स) को सालाना करीब 50 हजार करोड़ रुपए की राशि एडवांस में मिल जाएगी। यही वह राशि है, जो अभी उपभोग के बाद बिलिंग के माध्यम से कंपनियों को मिलती है। इस मॉडल से कंपनियों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और बकाया बिलों की समस्या भी काफी हद तक खत्म हो सकेगी।
केंद्र सरकार की योजना के तहत हो रहा बदलाव
यह बदलाव केंद्र सरकार की Revamped Distribution Sector Scheme (RDSS) के तहत किया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत 1.43 करोड़ स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे, जिस पर कुल 14037 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। इन मीटरों को चरणबद्ध तरीके से पूरे प्रदेश में लगाया जाएगा।
उपभोक्ताओं को भी मिलेगा लाभ
हालांकि पोस्टपेड सुविधा समाप्त हो रही है, लेकिन उपभोक्ताओं को भी राहत दी गई है। स्मार्ट मीटर सिस्टम में उन्हें 15 पैसे प्रति यूनिट की छूट मिलती रहेगी। इसके अलावा, उपभोक्ता अपनी बिजली खपत का वास्तविक समय पर ट्रैक रख सकेंगे और खर्च को नियंत्रित कर सकेंगे।
चिंताएं भी उभर रही हैं
हालांकि यह व्यवस्था पारदर्शिता और दक्षता को बढ़ावा देगी, लेकिन ग्रामीण व कमजोर वर्गों में डिजिटल भुगतान की समझ और रिचार्ज की सुविधा को लेकर कुछ चुनौतियां सामने आ सकती हैं। इन मुद्दों के समाधान के लिए राज्य सरकार और डिस्कॉम्स को अतिरिक्त प्रयास करने होंगे।
राजस्थान में बिजली की नई प्रीपेड व्यवस्था उपभोक्ताओं की आदतों में बड़ा बदलाव लाएगी। यह एक आधुनिक और पारदर्शी व्यवस्था की ओर कदम है, जिससे न केवल बिजली कंपनियों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी, बल्कि उपभोक्ताओं को भी अपने उपभोग पर नियंत्रण रखने का बेहतर अवसर मिलेगा।