
मजदूरों के रास्ते दिनों-दिन अवरूद्ध हो रहे हैं – कविया
वरिष्ठ पत्रकार र अब्दुल समद राही के साथ पवन पहाड़िया की विशेष रिपोर्ट
नागोर – अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति की ओर से मजदूर दिवस पर मजदूरों की दशा एवं दिशा पर गोष्ठी का आयोजन गर्मी के तेवर को देखते हुए सोशल मीडिया के माध्यम से ऑनलाईन गोष्ठी का आयोजन अध्यक्ष पवन पहाड़िया की मौजूदगी में हुआ। गोष्ठी के मुख्य वक्ता मजदूर सतसई के रचनाकार लक्ष्मण दान कविया ने कहा कि दुनिया का मजदूर आज दुखी हैं। मशीनरी के बढ़ते उपयोग के कारण दिनों-दिन मजदूरों के रास्ते अवरूद्ध हो रहे हैं। जहां पहले हज़ारों मजदूरों की कल कारखानों, बांध,पुलिया, सड़क, रेल बड़ी इमारत निर्माण में ज़रूरत होती थी लेकिन आज मशीनरी ने मजदूरों के हक को मार दिया है ओर आज उस जगह दस फीसदी मजदूरों को भी जगह नहीं मिलती है। गोष्ठी में गीतकार प्रहलाद सिंह झोरड़ा ने कहा कि बढ़ती मशीनरी का उपयोग मजदूरों के लिए चिंता का विषय है फिर भी अगर काम करने की चेष्टा हो तो कहीं न कहीं मजदूरों को मजदूरी मिल ही जाती है। श्रीराम वैष्णव ने कहा कि पुरूषार्थ प्रवृत्ति के व्यक्ति को अपने रोजगार के लिए रास्ता मिल ही जाता है। गांवों शहरों में आज भी कई काम मजदूरों के भरोसे ही निर्भर है। अध्यक्ष पवन पहाड़िया ने कहा कि मजदूरों की जरूरत हमेशा रहती आई है और आगे भी रहती रहेगी। सारे काम मशीनों के भरोसे नहीं हो सकते। सरकार को धन्यवाद देना होगा जो देश में करोड़ों मजदूरों को मनरेगा के तहत जीवन निर्वाह का साधन दे रखा है। यह अलग बात है कि मनरेगा के कारण भारत का मजदूर आलसी होता जा रहा है जिससे देश का भविष्य उज्जवल नहीं माना जा सकता। ऑनलाइन गोष्ठी से फतुराम छाबा, सा़ंवलदान कविया सतपाल सांदु गोपाल तंवर अरविंद कविया रमेश वैष्णव ताराचंद आदि जुड़े रहे।