वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा के साथ अकरम खान कि रिपोर्ट।
जयपुर। राजस्थान में शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा नवाचार होने जा रहा है। राज्य सरकार अब “चलते-फिरते स्कूल” की योजना पर काम कर रही है, जिसके तहत मोबाइल स्कूल बसों के जरिए बच्चों को घर के पास ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी। खासकर उन बच्चों के लिए यह योजना फायदेमंद होगी, जो घुमंतू परिवारों से ताल्लुक रखते हैं या जिनके माता-पिता आजीविका की तलाश में लगातार स्थान बदलते रहते हैं।

पहले फेज में 100 चलते-फिरते स्कूल:
शुरुआत में हर जिले में दो चलते-फिरते स्कूल संचालित किए जाएंगे। पहले चरण में कुल 100 मोबाइल स्कूलों की स्थापना का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इनमें एलकेजी से लेकर पांचवीं कक्षा तक की पढ़ाई करवाई जाएगी। एक स्कूल में 15 से 24 बच्चों के लिए जगह होगी, और यदि छात्रों की संख्या बढ़ती है तो स्थायी स्कूल की स्थापना पर विचार किया जाएगा।

स्कूल बस में होंगी अत्याधुनिक सुविधाएं:
इन मोबाइल स्कूलों को एसी बसों में तब्दील किया जाएगा। बसों में एलईडी टीवी, प्रोजेक्टर, डिजिटल ब्लैकबोर्ड, कंप्यूटर रूम की सामग्री और खेल उपकरण मौजूद रहेंगे। शिक्षा विभाग इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में चल रहे ऐसे मॉडल स्कूलों से प्रेरित होकर डिज़ाइन तैयार करवा रहा है।
घुमंतू बच्चों को मिलेगा बड़ा लाभ:
शिक्षा सचिव कृष्ण कुणाल ने बताया कि पहले उन क्षेत्रों में इन स्कूलों की शुरुआत की जाएगी जहां घुमंतू समुदाय अधिक हैं। इससे उन बच्चों को भी शिक्षा से जोड़ा जा सकेगा जिनका स्कूलों से संपर्क टूट गया था। विभाग का मानना है कि इस योजना से हर साल करीब 10 लाख बच्चों को फायदा पहुंचेगा।

स्थानीय शिक्षकों को प्राथमिकता:
इन स्कूलों में 2 से 4 शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। शिक्षा विभाग स्थानीय भाषा जानने वाले शिक्षकों को वरीयता देगा क्योंकि राज्य में हर कुछ किलोमीटर पर भाषा में विविधता देखने को मिलती है। शिक्षकों की भर्ती “शिक्षा संबल योजना” के तहत की जाएगी।
प्रस्ताव का वित्तीय खाका तैयार:
प्रत्येक बस की अनुमानित लागत एक करोड़ रुपये मानी गई है, जिसमें बस, एसी, क्लासरूम सामग्री, कंप्यूटर और खेल सामग्री की लागत शामिल होगी। प्रस्ताव तैयार कर वित्त विभाग को भेजा जा चुका है। स्वीकृति के बाद टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी।
विदेशी सुझाव से मिली प्रेरणा:
राइजिंग राजस्थान कार्यक्रम में इंग्लैंड से आए एक प्रवासी उद्यमी ने यह विचार शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को दिया था। मंत्री के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने इस पर विस्तृत प्रस्ताव तैयार किया है, जिसे अब अंतिम रूप दिया जा रहा है।
राजस्थान सरकार की यह पहल शिक्षा को सुलभ और समावेशी बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम मानी जा सकती है। यदि यह मॉडल सफल होता है, तो आने वाले वर्षों में यह देशभर में एक मिसाल बन सकता है।