कलयुग का अंतिम चरण! वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
सूरत, गुजरात:
एक ओर जहां गुरु-शिष्य का रिश्ता सबसे पवित्र और विश्वास से भरा माना जाता है, वहीं गुजरात के सूरत से आई एक चौंकाने वाली घटना ने इस रिश्ते को शर्मसार कर दिया है। यहां एक 23 वर्षीय युवती, जो कि एक निजी स्कूल में शिक्षक के रूप में कार्यरत थी, अपने ही 13 साल के छात्र को बहला-फुसलाकर भगा ले गई। यह मामला तब प्रकाश में आया जब छात्र के परिजनों ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई और पुलिस ने जांच शुरू की।
पुलिस ने 4 दिन की तलाश के बाद जब दोनों को खोज निकाला और टीचर को हिरासत में लिया, तो उसने जो खुलासा किया, वह और भी ज्यादा चौंकाने वाला था। पूछताछ के दौरान महिला शिक्षक ने दावा किया कि वह 5 महीने की गर्भवती है और यह बच्चा उसी 13 साल के छात्र का है।
मेडिकल जांच में हुआ खुलासा
महिला के गर्भवती होने के दावे को जब मेडिकल जांच के लिए भेजा गया, तो रिपोर्ट में उसके दावे को सही पाया गया। डॉक्टरों ने पुष्टि की कि वह लगभग 20 सप्ताह की गर्भवती है। इसके बाद पुलिस ने छात्र का भी मेडिकल परीक्षण कराया और डीएनए जांच के आदेश दिए हैं, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि गर्भ में पल रहा बच्चा वास्तव में उसी नाबालिग छात्र का है या नहीं।
समाज में गूंजा सनसनी, स्कूल प्रशासन भी हैरान
यह मामला सामने आने के बाद स्थानीय समाज में भारी सनसनी फैल गई है। जिस महिला पर माता-पिता अपने बच्चों की जिम्मेदारी सौंपते हैं, वही जब इस तरह की हरकत करती है, तो यह पूरी शिक्षा व्यवस्था और सामाजिक मूल्यों पर सवाल खड़े कर देता है। स्कूल प्रशासन ने भी मामले को गंभीरता से लेते हुए महिला को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है और पुलिस जांच में सहयोग की बात कही है।
कानूनी कार्यवाही शुरू, महिला पर POCSO एक्ट में मामला दर्ज
पुलिस ने महिला शिक्षक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है, जिसमें नाबालिग के साथ यौन शोषण और अपहरण जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। साथ ही, महिला पर POCSO Act (Protection of Children from Sexual Offences) के तहत भी कार्यवाही की जा रही है।
मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक जिम्मेदारी पर उठे सवाल
इस मामले ने समाज के सामने कई गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं—क्या आज के शिक्षकों में नैतिक मूल्यों की कमी हो रही है? क्या किशोरों को भावनात्मक रूप से सुरक्षित रखने के लिए माता-पिता और स्कूलों को और सजग होने की जरूरत है? विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों में दोनों पक्षों की मानसिक स्थिति और सामाजिक पृष्ठभूमि की गहराई से जांच की जानी चाहिए।
यह घटना केवल एक कानूनी मामला नहीं, बल्कि सामाजिक, मानसिक और नैतिक मूल्यों की गिरावट की तस्वीर भी पेश करती है। कलयुग के अंतिम चरण की कल्पना अगर कहीं सच होती दिखती है, तो वह इस घटना के रूप में सामने आई है, जिसने न केवल एक छात्र का बचपन छीन लिया, बल्कि पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है।