पुस्तक समीक्षा-
जीवन को प्रेम से महकाती कविताएं प्रेम एक : रूप अनेक
वरिष्ठ पत्रकार अब्दुल समद राही
प्रेम, प्यार, इश्क, मोहब्बत का जिक्र होते ही हर एक के चेहरे खिल जाते हैं चाहे प्रेम ईश्वर, माता-पिता, भाई-बहन, पति-पत्नी, दादा-दादी, मित्र, प्रकृति, जीव-जंतु, पुस्तक, कला, खेल वगैरा वगैरा यह सब अपने आप में खास होता है। इसके लिए आदमी अपनी जान तक छिटकता है।
इसी प्रेम रूपी गुलदस्ते को सजाया है जानी-मानी साहित्यकार सुकीर्ति भटनागर ने अपने लघु कविता संग्रह प्रेम एक : रूप अनेक को 17 खंडों में विभाजित कर कई तरह के रंगों से सराबोर किया है। इसे पढ़कर मन आत्मसात् होता है।
प्रेम हो या प्यार एक ऐसा अहसास है जो दिल से होता है और इसमें अनेक भावनाओं व अलग-अलग विचारों का समावेश होता है जो कवयित्री ने 17 खंडों में पिरोकर उसे अनमोल बना दिया है।
ईश्वर प्रेम निस्वार्थ भाव से किया गया प्रेम है। जब आप निस्वार्थ भाव से अपने ईश्वर का स्मरण करते हैं उसी से लोह लगा लेते है। आपको परम शक्ति का अनुभव होता है और उसी में विश्वास रखने पर सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं ईश्वर प्रेम की विश्वास कविता की पंक्तियां देखिए-
करता जो
पूर्ण विश्वास
स्थिर भाव-शांत चित
उस
सर्वशक्तिमान पर,
हो जाते हैं
सिद्ध
सभी कार्य
उसके
बाधा रहित।
माता-पिता का प्यार बच्चों के लिए अनमोल उपहार हैं जो हर बच्चे के जीवन में खुशियां और सुरक्षा लाता है और सच्चे और स्वस्थ रिश्ते बनने में मदद करता है बच्चों का भविष्य बनाने उसे संस्कारित करने में मां-बाप की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। नि: स्वार्थ भाव कविता में कवयित्री कहती है-
माता-पिता
भुला
दु:ख सुख
इच्छाएं-अपेक्षाएं
स्वयं की,
रहते सदैव तत्पर
करने सुरक्षित
भविष्य
बच्चों का
नि:स्वार्थ भाव।
भाई-बहन का प्रेम भी दुनिया में सबसे न्यारा है। बस प्रेम ही प्रेम शिकायत में भी प्रेम झलकता है और रिमझिम बरसात की तरह बरसता रहता है। संग्रह की भोलापन कविता देखिए-
करते है
नन्ही-नन्ही
शैतानियां
मिलकर
भाई-बहन
और
जाते है छिप
आने पर
मां के
हंसते हुए।
पति-पत्नी का प्रेम में बंधा एक ऐसा रिश्ता होता है जो जीवन भर साथ निभाता है जीवन के सुख-दुख एक दूसरे मिलकर बांटते हैं उनमें भरा विश्वास रिश्ते को मजबूत बनाता है। कविता जीवनसाथी की पंक्तियां देखिए-
पति-पत्नी
चलते हैं
साथ-साथ
जीवन पर्यन्त
थामे हाथ
इक दूजे का
हर स्थिति में
बंधे
डोरी में
विश्वास की।
मित्र का प्रेम एक ऐसा निस्वार्थ प्रेम है जो जीवन में दुख को हर खुशियां भरता है। इस प्रेम में किसी तरह का लोभ-लालच नहीं होता। विश्वास पर टिका यह प्रेम जीवन को महकता है। मित्र प्रेम की जीवन पथ कविता देखिए-
सच्चे मित्र
मिलते है
भाग्य से
जो जीते हैं
इक दूजे के लिए
निस्वार्थ भाव
और
हो जाता है सुगम
पथ
जीवन का।
पोत्र-पोत्री प्यार भी अनमोल होता है कहते है की मूल नहीं शूद प्यारा होता है। इस तरह का प्यार दादा-दादी का अपने पोत्र-पोत्री के लिए होता है। बुढ़ापे में यही प्रेम उनका लाठी बनकर सहारा देता है पोत्र-पोत्री कविता की पंक्तियां देखिए-
लगते हैं
पोत्र-पोत्री
अधिक प्यारे
अपनी
निज संतान से भी
सार्थक करते
यह
कहावत
मूल से भी
शूद प्यारा।
पुस्तक प्रेम भी अनोखा प्रेम है जो जीवन को संस्कारवान बनाती हैं। मार्गदर्शन करती हैं। अंधेरे में दीया बनकर रोशनी फैलाती है। ज्ञान में वृद्धि कर जीवन को आनंदमय बना देती है। कहते हैं पुस्तक सच्ची मित्र होती हैं लेखिका सच्चे मित्र कविता में कहती है-
पुस्तकें
ये सारी
कितनी प्यारी-प्यारी
बहलाती है
मन मेरा
और करती हैं दूर
एकाकीपन
बन मेरी
सच्ची एवं अच्छी मित्र।
इसी तरह जीवन प्रेम, दादा-दादी प्रेम, प्रकृति प्रेम, विश्व प्रेम, जीव-जंतु प्रेम, कला प्रेम, मानवता प्रेम, स्व प्रेम, स्वस्थ प्रेम, खेल प्रेम आदि में कवयित्री ने प्रेम का बखुबी चित्रण किया है और संग्रह को पठनीय बना दिया है। मैं बड़ी बहन वरिष्ठ साहित्यकार सुकीर्ति भटनागर को प्रेम एक : रूप अनेक लघु कविता संग्रह के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं पेश करता हूं। आपने इस संग्रह को प्रेम रस से भर दिया है पाठक इसका रसास्वादन कर एक दूसरे के प्रति अपने प्रेम रूपी रिश्ते को मजबूत बनाएंगे और अपने जीवन को प्रेम से महकाएंगे।
समीक्षक- अब्दुल समद राही
पुस्तक- प्रेम एक : रूप अनेक
लेखिका- सुकीर्ति भटनागर
मूल्य- ₹300
संस्करण- 2025
प्रकाशक- आनंद कला मंच
भिवानी- हरियाणा